नई दिल्ली : सिर और गले का कैंसर गले, मुंह और नाक आदि को प्रभावित करता है, जिसके कारण इसका इलाज जटिल हो जाता है क्योंकि मरीज को बात करने, निगलने और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इन संवेदनशील अंगों के आसपास किसी भी संरचना को कोई भी नुकसान होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं, इसलिए सावधानी बहुत जरुरी हो जाती है।
इसके शुरुआती लक्षणों में गले या मुंह में गांठ, आवाज में बदलाव, आवाज का कर्कश हो जाना, ऐसा महसूस होना कि खाना गले में फंसा है, निगलने में कठिनाई होना, कान में या चेहरे पर बार-बार दर्द होना, मुंह या मसूढ़ों में लंबे समय तक छाले बने रहना, मुंह में खून आना, और बेवजह वजन का घटना हैं। मणिपाल हॉस्पिटल गुरुग्राम के सलाहकार-सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि वो कौन से चार उपाय हैं, जिनकी मदद से सिर और गले के कैंसर का जोखिम कम किया जा सकता है।
अत्यधिक मदिरा सेवन से सिर और गले के कैंसर का जोखिम काफी ज़्यादा बढ़ जाता है। मदिरा सेवन में संयम और उससे भी बेहतर है पूरी तरह से उसका त्याग, और उसकी जगह पानी एवं अन्य सेहतमंद पेय पदार्थों का उपयोग
धूम्रपान छोड़ना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। धूम्रपान से सिर और गले के नाजुक हिस्से कार्सिनोजेनिक रसायनों के संपर्क में आते हैं, जिससे कैंसर का जोखिम बहुत बढ़ जाता है। धूम्रपान किसी भी उम्र में छोड़ने का काफ़ी लाभ होता है, और यह समय के साथ कैंसर का जोखिम भी कम कर देता है।
मुंह की हाइजीन बनाकर रखना और नियमित तौर से दांतों का परीक्षण कराते रहना महत्वपूर्ण है। मुंह में कैंसर कोशिकाओं का समय पर पता चल जाने पर समय पर उसका इलाज किया जा सकता है, जिससे कैंसर बढ़कर एडवांस्ड स्टेज में पहुंचने की संभावना कम हो जाती है। दिन में दो बार ब्रश करें, नियमित रूप से फ्लॉस करें और नियमित रूप से दाँतों की सफाई एवं जांच करवाते रहें।
सिर और गर्दन के कुछ कैंसर ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होते हैं। इन कैंसर्स से बचने के लिए पुरुषों और महिलाओं, दोनों को एचपीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए। अपने डॉक्टर से सलाह लें कि क्या आपको एचपीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए।
सिर और गले के कैंसर का समय पर पता चल जाए, तो इलाज के बेहतर परिणाम मिलते हैं। यदि उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। तुरंत निदान और इलाज से जान बचाई जा सकती है। नियमित जांच कराते रहने से मुंह और गले के कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान हो सकती है।