नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में हवा में घुलते प्रदूषण (air pollution) के कारण लोगों का सांस लेना दूभर होता जा रहा है। पंजाब एवं हरियाणा (Punjab and Haryana) में रिकॉर्ड तोड़ पराली जलाने (record breaking stubble burning) से उठते धुएं ने राजधानी दिल्ली की हवा को खतरनाक श्रेणी में पहुंचा दिया है।
आपको बता दें कि पंजाब के मुकाबले हरियाणा में इस बार बेशक कम पराली जलाने के मामलों का दावा किया जा रहा हो लेकिन हकीकत यह भी है कि प्रदूणष स्तर पिछले सालों के मुकाबले बढ़ रहा है। कई शहरों में यह खराब से अति खराब श्रेणी में आ चुका है। गुरुवार को चरखी दादरी देश में सर्वधिक प्रदूषित रहा जिसका एक्यूआई 460 दर्ज किया गया। सरकार के तमाम दावों के बीच प्रदेश में वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार नहीं हो रहा है। खास बात ये है कि जिन शहरों में पराली जलाने के मामले कम हैं, वहां पर भी प्रदूषण स्तर अधिक है।
वहीं गुरुवार सुबह राजधानी दिल्ली में धुंध और धुएं के कारण प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया। गुरुवार को दिल्ली- एनसीआर में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 396 रिकॉर्ड किया गया।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक गुरुवार को प्रदेश में कुल 128 पराली जलाने के मामले सामने आए। तीन नवंबर 2021 को 197 पराली जलाने के मामले सामने आए थे। अब तक प्रदेश में 2300 से अधिक स्थानों पर पराली जलाई जा चुकी है। सरकार का दावा है कि पिछले साल और पंजाब के मुकाबले इस बार प्रदेश में कम स्थानों पर पराली जलाई गई है। इसके बावजूद प्रदूषण पिछले साल की तुलना में बढ़ा है। जहां सरकार के दावों पर प्रश्नचिह्न लगता है।
दूसरी ओर अगर हम आंकड़ों की बात करें तो करनाल में पिछले साल पराली के 214 मामले थे, इस बार 191 मामले सामने आए। पिछले साल इसी दिन एक्यूआई 287 था और गुरुवार को 275 रहा। यमुनानगर में पिछले साल 157 मामले पराली जलाने के सामने आए थे। वहीं इस बार अब तक पराली जलाने के 107 मामले सामने आ चुके हैं। गुरुवार को एक्यूआई 278 रिकॉर्ड किया गया, जबकि बीते वर्ष तीन नवंबर को एक्यूआई 211 था। कैथल जिले में पिछले साल पराली जलाने के 1167 मामले सामने आए थे। इस बार अब तक 570 मामले सामने आए।
एक्यूआई पिछले साल 276 और इस साल तीन नवंबर को 386 है। कुरुक्षेत्र में पराली जलाने के पिछले साल 404 मामले थे। इस बार अब तक 365 मामले सामने आए हैं। वहीं पिछले साल 197 एक्यूआई था जबकि इस साल अधिकतम 324 रिकॉर्ड किया गया। पानीपत में पिछले साल 252 मामले सामने आए। इस बार अब तक 32 की सूचना मिली, छह पुष्टि नहीं हो पाई और 26 पर 72 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। एक्यूआई पिछले साल आज के दिन 235 था और आज 379 है।
मौसम विभाग के अधिकारियों ने तीन नवंबर को प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रहने की संभावना जताई थी। हालात भी वही बने हुए हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पांच नवंबर को प्रदूषण इससे भी ज्यादा खराब हो सकता है।
राजधानी में धुंध और धुएं के कारण सड़कों पर विजिबिलिटी बहुत खराब रही। नोएडा की स्थिति भी बेहद चिंताजनक बनी हुई है। यहां औसत एक्यूआई 400 के करीब दर्ज किया गया। इसके अलावा दिल्ली से सटे गुरुग्राम में एक्यूआई 456 रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली के कई इलाकों में एक्यूआई का स्तर 400 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया।