स्पोर्ट्स डेस्क : भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप का आज34वां बर्थडे है. 1986 को हैदराबाद में जन्मे कश्यप ने भी पत्नी सायना नेहवाल की तरह पुलेला गोपीचंद अकेडमी में बैडमिंटन की ट्रेनिंग की है. वो हैदराबाद के बिजनसमैन उदय शंकर और सुभद्रा के बेटे हैं. कश्यप ने वर्ष 1997 में शौक के तौर पर बैडमिंटन खेलना शुरू किया जिसके बाद जब वो 11 वर्ष के थे, तो समर कैंप में बैडमिंटन खेलने की शुरूआत की.
पिता का तबादला होने के बाद परिवार बैंगलोर में जाकर रहने लगा जहां वर्ष 2004 में कश्यप ने पादुकोण एकेडमी में अपनी ट्रेनिंग शुरू की, इसी दौरान पारूपल्ली को अस्थमा की शिकायत होने के बाद उन्हें वापस हैदराबाद लौटना पड़ा. अस्थमा के बावजूद कश्यप ने उम्मीद नहीं छोड़ी और लगातार ट्रेनिंग करते रहे, जिसके बाद पिता ने कश्यप को पुलेला गोपीचंद एकेडमी में भेजा, जहां पर ट्रेनिंग करने के साथ पारुपल्ली की सेहत भी बेहतर होती जा रही थी.
उन्होंने लंबे टाइम तक किसी को अपनी बीमारी के बारे में नहीं बताया था. 2005 में कश्यप पहली बार तब चर्चा में आए, जब उन्होंने आंध्र प्रदेश की ओर से खेलते हुए नेशनल जूनियर ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीता. इस वर्ष अपने बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत उन्हें एशियन गेम्स-2006 में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल गया.
2010 में नई दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने धमाकेदार प्रदर्शन किया और सिंगल्स में कांस्य पदक जीता. वो टीम इवेंट में भारत को गोल्ड जिताने में भी सफल रहे थे. लंदन ओलंपिक में कश्यप थोड़ा अनलकी रहे और क्वॉर्टर फाइनल में हारकर बाहर हो गए. बावजूद इसके वो इतिहास रचने में सफल रहे थे. वो ओलंपिक में पुरुष बैडमिंटन के सिंगल्स में क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचने वाले पहले भारतीय शटलर थे.