फाइब्रोमायल्जिया एक दीर्घकालिक बीमारी है, जिसमें सामान्य थकान और लगातार होने वाली पीड़ा और दर्द होता है। किसी व्यक्ति में फाइब्रोमायल्जिया द्वारा अनुभव किए गए दर्द का कोई प्रकट शारीरिक कारण नहीं है। फाइब्रोमायल्जिया एक ऐसी स्थिति है जिसके कारण पूरे शरीर में दर्द और थकान महसूस होती रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 5 मिलियन युवाओं में जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं, फाइब्रोमायल्जिया के शिकार है। फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों के पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि वे अन्य बीमारियों के जैसे ही लगते हैं।। इसका उपचार भी कठिन होता है। फाइब्रोमायल्जिया को रोकने के लिए कुछ आहार उपयोगी होते हैं, जो इसे बढ़ने से रोकते हैं। फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण अक्सर मनोवैज्ञानिक तनावों से जुड़े होते हैं। इसका मतलब यह है कि तनाव से लक्षण और ज्यादा खराब हो सकते हैं; और तनाव का प्रबंधन, इसके लक्षणों के प्रबंधन में भी मदद कर सकता है –
एम्स के डॉ. केएम नाधीर का कहना है कि इस विकार में मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द, थकान के अलावा मस्तिष्क और नींद से जु़ड़ी कई मुश्किलें आनी शुरू हो जाती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि फाइब्रोमायल्जिया में मस्तिष्क के दर्द के संकेतों के प्रभावित होने से इस रोग के दर्द में सनसनी महसूस होती है। शोधकर्ता और डॉक्टर अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि इस विकार का असल कारण क्या है। लेकिन दशकों के शोध के बाद कुछ कारकों को इसका जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसमें किसी तरह का पहले से संक्रमण इस विकार का कारण बन सकता है और लक्षण बिगड़ सकते हैं। आनुवंशिक भी हो सकता है, यानी परिवार में किसी व्यक्ति को है तो इससे अन्य सदस्यों में होने का जोखिम बढ़ जाता है। किसी भावनात्मक या शारीरिक आघात से जूझ चुके लोगों को भी हो सकता है। इस बीमारी के लक्षण 30 से 50 वर्ष की उम्र में दिखते हैं लेकिन बच्चों और बुजुर्गों सहित किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है।
एम्स के डॉ. उमर अफरोज का कहना है कि अस्वस्थ आहार, बदलती जीवनशैली, नींद की कमी, आर्थिक परेशानी, प्रियजन को खोना, वातावरण का प्रभाव, खराब रिश्ते आदि तनाव का कारण बन सकते हैं। लंबे समय तक किसी बात का तनाव भी हार्मोनल गड़बड़ी कर सकता है और फाइब्रोमायल्जिया की वजह बन सकता है। फाइब्रोमायल्जिया से ग्रस्त दस में से नौ लोगों में अवसाद के लक्षण होते हैं और दस में से कम से कम छह लोगों को अपने जीवनकाल के दौरान एक गंभीर अवसाद का अनुभव होगा। रूमेटिक रोग से पीड़ित व्यक्ति में फाइब्रोमायल्जिया विकसित होने की अधिक आशंका हो सकती है।
हालांकि, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन ऐसी कई दवाएं हैं जो इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। खासतौर पर आराम, व्यायाम और तनाव में कमी के उपायों को अपनाकर फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों को नियंत्रित रखने रख सकते हैं। इससे बचाव के लिए व्यक्ति को पर्याप्त नींद, भावनात्मक और मानसिक तनाव में कमी, नियमित रूप से व्यायाम, संतुलित आहार की जरूरत है। भरपूर आराम भी इसके लिए जरूरी है। अपने काम को पूरे दिन में बांट लें। अगर एक दिन में ही बहुत अधिक काम करने की कोशिश करते हैं, तो थका हुआ महसूस कर सकते हैं।