जानिये क्यों किसी से मिलने पर दो बार बोला जाता है राम-राम
नई दिल्ली : नियमित रूप से मंदिर जाना मेरी बचपन से आदत है। यह क्रम शादी के बाद भी बदस्तूर जारी रहा है। चाहे कैसी भी परिस्थिति रही हो मंदिर अवश्य जाता हूं। आज भी प्रात: जब अपनी पत्नी के साथ मंदिर गया तो वहाँ एक और परिवार से मुलाकात हुई। पति-पत्नी के साथ लगभग 8-10 साल का एक बच्चा भी था। आमना-सामना होते ही हमने एक-दूसरे राम-राम कहा। बच्चे ने राम-राम न कहकर नमस्ते कहा। मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए कानों में उसी बच्चे की आवाज सुनाई दी जो अपने पिता से यह पूछ रहा था, पापा आप जब भी किसी से मिलते हैं तो राम-राम बोलते हैं, यह राम-राम दो बार क्यों बोला जाता है? एक बार या तीन बार क्यों नही बोलते ?
बच्चे के मुख से निकले इस प्रश्न ने मुझे भी यह सोचने को मजबूर किया कि आखिर राम-राम दो बार क्यों बोला जाता है। इसका उत्तर मुझे भी मालूम नहीं था। पूजा करने के बाद मैंने पंडितजी से पूछा पंडित आप ज्ञाता हैं एक बात का उत्तर दीजिए किसी से मिलते वक्त हम राम-राम शब्द को दो बार क्यों बोलते हैं। पंडितजी प्रश्न सुनकर मुस्कराए और बोले क्या आपको इसका उत्तर नहीं मालूम। मैंने कहा नहीं तो उन्होंने चलिए मैं बताता हूँ।
पंडितजी ने कहा, दो बार राम-राम बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य है क्योंकि यह आदि काल से ही चला आ रहा है। हिन्दी शब्दावली में र सत्ताइसवां शब्द है, वहीं आ की मात्रा दूसरा और म पच्चीसवां शब्द है। यदि इन तीनों अंकों का योग करें तो हमें 54 की संख्या मिलती है अर्थात् एक राम का योग 54 हुआ। इसी प्रकार दो राम राम का कुल योग 108 होगा। हम जब कोई जाप करते हैं तो 108 मनके की माला गिनकर करते हैं। सिर्फ राम राम कह देने से ही पूरी माला का जाप हो जाता है। इसीलिए जब कभी भी किसी से मिलने पर राम बोला जाता है तो वह दो बार राम-राम कहकर बोला जाता है।
हिन्दू धर्म में दूसरों को राम-राम कहकर अभिवादन करने की एक बहुत ही सामान्य प्रथा है। कई अन्य शब्द भी उपयोग किए जाते हैं जैसे, हरिओम, जय श्री कृष्ण, जय राम जी की, ओम शांति, जय माता दी, हर हर महादेव। लेकिन राम-राम का प्रयोग सबसे आम है। राम-राम हिंदू भगवान श्रीराम से जुड़े हैं, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। भगवान राम को उनकी धार्मिकता, अच्छे चरित्र और वीरता के कारण पूजा जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रामायण ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई थी जो अपने पिछले जीवन में एक चोर या डाकू थे। ऋषि नारद मुनि ने उन्हें मंत्रमुग्ध मारा मारा कहने के लिए कहा, जो वास्तव में राम-राम का उच्चारण करता है, ताकि उन्हें जीवन का मार्ग दिखाया जा सके और आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सके। बाद में, उसने लोगों को लूटना और मारना बंद कर दिया और अपने पापों से मुक्त हो गया। इसके बाद उन्होंने सच्चाई, ईमानदारी और दया के मार्ग पर चलना जारी रखा और हिंदू महाकाव्य-रामायण लिखा। राम शब्द में क्या आध्यात्मिक शक्ति है और भगवान के नाम को मंत्रमुग्ध करने के सकारात्मक प्रभाव – राम-राम का यह एक आदर्श उदाहरण है।
राम-राम शब्द का जाप हमें पाप करने से रोकता है और पापों के नकारात्मक प्रभाव से छुटकारा दिलाता है। यह ब्रह्मांड में मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं और पापियों द्वारा किए गए काले जादू जैसी अन्य ऊर्जाओं से हमारी रक्षा करता है।
इस प्रकार, व्यक्ति न केवल दूसरों को नमस्कार करता है बल्कि ईश्वरीय शब्दों को मंत्रमुग्ध करके पुण्य या आशीर्वाद का पुरस्कार भी अर्जित करता है।