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कोविड ने प्रभावित की बच्चों पढ़ाई, प्राप्तांक हो रहे कम, 80 प्रतिशत छात्र बोले- स्कूल जाना बेहतर

नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हुए पूरी दुनिया में बच्चों की पढ़ने-लिखने की क्षमता में भी काफी गिरावट आई है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 यानी नेशनल अचीवमेंट सर्वे से यह बात सामने आई है कि सभी क्लास के छात्रों के सीखने की क्षमता पर असर पड़ा है। सर्वे में शामिल 80 फीसदी बच्चों ने माना कि स्कूल में साथियों की मदद से सीखना ज्यादा अच्छा होता है। सर्वे में एक बात सामने आई कि बड़ी क्लास के छात्रों के सीखने की क्षमता ज्यादा प्रभावित हुई है। पिछले साल नवंबर में देश भर के 1.18 लाख स्कूलों के 34 लाख बच्चों पर यह सर्वे किया गया, जिसमें क्लास 3, 5, 8 और 10वीं के बच्चों को शामिल किया गया। प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले राज्य सरकारों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की परफॉर्मेंस में ज्यादा कमी देखी गई है। एक खास बात यह देखी गई कि 8वीं और 10वीं क्लास में मैथ्स और साइंस विषयों के स्कोर में ज्यादा कमी आई है। पंजाब और राजस्थान ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है और ये दोनों राज्य अलग-अलग विषयों में टॉप 5 में शामिल रहे हैं।

सर्वे में यह सामने आया है कि 2017 के मुकाबले सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मैथ्स-साइंस समझने की बड़ी चुनौती रही है। कोविड काल में काफी समय तक बच्चे स्कूल नहीं गए हैं और इसका असर भी इन दोनों विषयों की पढ़ाई पर साफ नजर आया है। राज्य सरकारों के स्कूलों में जहां 2017 में मैथ्स का औसत स्कोर 252 था, वहीं अब यह घटकर 210 रह गया है। साइंस में यह स्कोर 251 से घटकर 195 रह गया है। हालांकि, प्राइवेट स्कूलों में भी गिरावट देखी गई है। प्राइवेट स्कूलों में 10वीं में मैथ्स का औसत स्कोर 263 से घटकर 228 आंका गया है और साइंस में यह 259 से कम होकर 229 तक आ गया है। इस बार के सर्वे में क्लास 3 में पढ़ने वाले बच्चों के मैथ्स सीखने की क्षमता का स्कोर 500 में से 306 रहा है, क्लास-5 में यह 284, क्लास-8 में 255, क्लास-10 में 220 रहा है। जैसे- जैसे बड़ी क्लासेज को लेकर सर्वे किया गया तो सामने आया कि बच्चों के सामने सीखने का संकट ज्यादा रहा है।

सर्वे में पंजाब-राजस्थान के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन अच्छा आंका गया है। इन दोनों राज्यों के अलावा केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ भी कई विषयों में टॉप तीन में रहा है। वहीं कई विषयों की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश, मेघालय, छत्तीसगढ़, दिल्ली, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु निचले पायदान में आए हैं। जैसे क्लास-3 में भाषा पढ़ने वाले बच्चों की क्षमता को देखा गया तो टॉप 5 राज्यों में पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान हैं। निचले पायदान में दादर और नागर, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना है। पांचवी क्लास के मैथ्स के स्कोर को देखें तो टॉप राज्यों में पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश शामिल है।

अरुणाचल प्रदेश, गोवा, दिल्ली के पांचवीं के बच्चों की परफॉर्मेंस कमजोर रही है। 8वीं क्लास में साइंस को लेकर किए सर्वे रिपोर्ट बताती है कि टॉप 5 राज्यों में पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश शामिल हैं, जबकि कम स्कोर करने वाले राज्यों में गोवा, मेघालय, तमिलनाड़ु, तेलंगाना हैं। कोविड काल के दौरान जब लंबे समय तक ऑनलाइन क्लासेज चली तो उन बच्चों को खासी समस्या हुई, जिनके पास मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसी सुविधा नहीं थी। राष्ट्रीय सर्वे में यह सामने आया कि करीब 24 फीसदी बच्चों के पास कोई डिजिटल डिवाइस नहीं थी। वहीं दिल्ली में भी करीब 43 फीसदी स्कूली बच्चों के पास कोरोना के समय डिजिटल डिवाइस नहीं थी। सर्वे में अच्छा प्रदर्शन करने वाले दो राज्य पंजाब और राजस्थान रहे हैं, हालांकि पंजाब में भी 42 फीसदी से ज्यादा प्रतिभागियों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं थी।

नेशनल अचीवमेंट सर्वे (एनएएस) राष्ट्रीय स्तर की स्टडी है, जिसमें देश की शिक्षा व्यवस्था की परख की जाती है। 2017 के बाद नवंबर 2021 में यह सर्वे किया गया। इस सर्वे में किसी बच्चे या स्कूल की अलग से कोई रैंकिंग नहीं होती है। इसमें राज्यों के सरकारी, प्राइवेट, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के सीखने की क्षमता का आकलन किया जाता है। इस बार कुछ क्लासेज के बच्चों के बीच यह सर्वे किया गया है। भाषा, गणित, पर्यावरण, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी जैसे विषयों को लेकर यह देखा गया है कि स्टूडेंट्स ने इनको कितना समझा है।

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