नई दिल्ली : सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सात विधायकों सहित मणिपुर के 10 कुकी विधायकों ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया कि वह राज्य सरकार को मणिपुर पुलिस कमांडो को उन पहाड़ी जिलों में न भेजने का निर्देश दें जहां कुकी जनजाति के लोग अधिक संख्या में रहते हैं। इससे ठीक एक दिन पहले 10 विधायकों के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें पांच पहाड़ी जिलों के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के समान पदों की व्यवस्था करने की मांग की गई थी। आपको बता दें कि ये वही जिलें हैं, जहां कुकी समुदाय के लोग रहते हैं।
विधायकों द्वारा अमित शाह को लिखे गए पत्र में कहा गया है, “राज्य सरकार हमारे लोगों की इच्छाओं के खिलाफ पहाड़ी सीमावर्ती शहर मोरेह में राज्य कमांडो इकाई की टुकड़ियों को भेजने की कोशिश कर रही है। उनकी पक्षपातपूर्ण साख के कारण लोग इससे भयभीत हैं।”आपको बता दें कि मोरेह म्यांमार सीमा के करीब है। यहां कुकी बहुसंख्यक हैं। पिछले महीने से कुकी समुदाय के लोग सीमावर्ती शहर में अतिरिक्त बलों को तैनात करने के एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पत्र में आगे कहा गया है, “इसलिए हम आपसे हस्तक्षेप करने और राज्य सरकार को पहाड़ी इलाकों में राज्य पुलिस कमांडो को जबरन तैनात करने की कोशिश करने से रोकने का अनुरोध करते हैं।”
विधायकों ने कहा कि हम एनएच2 पर से नाकाबंदी हटाने के अमित शाह के अनुरोध पर सहमत हो गए हैं, लेकिन मैतेई समुदाय के लोगों ने सड़कों को अवरुद्ध करना जारी रखा है। इसके कारण चुराचांदपुर, चंदेल और टेंग्नौपाल जिलों के पहाड़ी इलाकों में आवश्यक वस्तुओं और दवाओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इन्होंने राज्य सरकार पर इन अवरोधों को हटाने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
16 अगस्त को कांगपोकपी जिले में स्थित कुकी संगठन आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) ने केंद्र सरकार को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था। एनएच 2 और एनएच 37 को अवरुद्ध करने की धमकी दी गई थी। कुकी इलाकों में समय सीमा के अंदर जरूरी सामान नहीं पहुंच पाता है। इस समूह ने भी राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया था, जिसे उन्होंने अमित शाह के अनुरोध के बाद हटा लिया। आपको बता दें कि मणिपुर में 3 मई से मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं, जिसमें लगभग 160 लोगों की जान चली गई, 300 से अधिक घायल हो गए। इस हिंसा के कारण 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए।