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यूक्रेन से वापस लाए गए छात्रों का भविष्य तय करना केंद्र की जिम्मेदारी : कुमारस्वामी

बेंगलुरु। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को केंद्र सरकार से युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटने वाले छात्रों की भविष्य की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया। कुमारस्वामी ने कहा, “यह अच्छा है कि केंद्र सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को बचाया है। लेकिन उनका भविष्य क्या है? इन छात्रों के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए यूक्रेन लौटना असंभव है। मीडिया दिखा रहा है कि रूसी सेना ने शैक्षणिक संस्थानों को नष्ट कर दिया है, जिनमें कई विश्वविद्यालय शामिल हैं।”

कर्नाटक के अब तक लगभग 800 से 1,000 भारतीय छात्र यूक्रेन से लौट चुके हैं, लेकिन उनकी शिक्षा का भविष्य खतरे में है। कुमारस्वामी ने कहा कि यूक्रेन से लौटे इन छात्रों का भविष्य बनाना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “कर्नाटक में लगभग 50 से 60 मेडिकल कॉलेज हैं। अगर जरूरत पड़ी तो इन छात्रों को दाखिला देने के लिए एक प्रवेश परीक्षा होनी चाहिए। प्रत्येक कॉलेज में कम से कम 10 ऐसे छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाए।”

उन्होंने कहा, “राज्य के 2,65,720 करोड़ रुपये के बजट के साथ क्या कर्नाटक सरकार पर 50-100 करोड़ रुपये खर्च करने का बोझ होगा? केंद्र सरकार को लागत का 50 प्रतिशत वहन करने दें।” कुमारस्वामी ने पूछा, “क्या केंद्र सरकार राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के माध्यम से 50 प्रतिशत सीटों पर फैसला नहीं करेगी।”

कुमारस्वामी ने कहा, “हम कहते हैं ‘वैद्यो नारायणो हरि’ (डॉक्टर को भगवान नारायण के रूप में देखा जाना चाहिए। अगर ये सभी छात्र डॉक्टर बन जाते हैं, तो वे लोगों की जान बचा सकते हैं और कर्नाटक की सेवा कर सकते हैं। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को इस दिशा में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

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