उत्तराखंड

भू-कानूनः सीएम धामी के 5 बड़े फैसले, दो दशक बाद होगा न्याय!

देहरादून (गौरव ममगाईं)।  भू-कानून,  एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा रहा है जिसकी मांग उत्तराखंड राज्य के गठन के समय से ही जोरों पर रही है,  मगर दुर्भाग्य से हर सरकार में यह मुद्दा न्याय को जूझता रहा है। लंबे समय बाद वर्तमान धामी सरकार ने इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हुए सकारात्मक रूख दिखाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले पर एक के बाद एक बड़े एक्शन ले रहे हैं। आइये जानते हैं सीएम धामी के भू-कानून व मूल निवास से जुड़े 5 बड़े फैसले, जिसने उत्तराखंडवासियों में उम्मीद की किरण जगा दी है…

नंबर-1  

सीएम धामी ने वर्ष 2022 में सख्त भू-कानून का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञ कमेटी गठित की थी। तब तो आंदोलन की सुगबुगाहट भी नहीं थी। इस कमेटी ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ड्राफ्ट तैयार किया है,  जिसमें कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये हैं।

नंबर-2

 सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए स्थायी प्रमाण-पत्र की बाध्यता को खत्म कर दिया है।  यानी जिनके पास मूल-निवास प्रमाण-पत्र होगा, उन्हें स्थायी निवास प्रमाण-पत्र दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी। बता दें कि मूल निवासियों को कई प्रमाण-पत्र बनाने के लिए स्थायी निवास प्रमाण-पत्र मांगा जाता था, जिससे मूल-निवास प्रमाण-पत्र उपयोगहीन बनकर रह गया था।

नंबर-3

सीएम धामी ने पिछले हफ्ते अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है, जिसे कानून के ड्राफ्ट का अध्ययन कर फाइनल ड्राफ्ट सौंपने की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। सीएम धामी ने कमेटी को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि ड्राफ्ट में उत्तराखंडवासियों के हितों को प्राथमिकता में रखा जाये। कमेटी ने ड्राफ्ट का अध्ययन भी शुरू कर दिया है।

 नंबर-4

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कुछ महीने पूर्व उत्तराखंड से बाहरी लोगों को राज्य में कृषि व उद्यान भूमि खरीदने के लिए कारण व पृष्ठभूमि के वेरिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया था। जांच में सब कुछ सही पाने पर ही व्यक्ति को भूमि खऱीदने की अनुमति देने का फैसला किया था।

नंबर-5

नववर्ष के पहले दिन ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में बाहरी व्यक्तियों द्वारा कृषि व उद्यान की भूमि पर फिलहाल रोक लगा दी है। सीएम धामी ने सभी जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि वे किसी बाहरी व्यक्ति की भूमि खरीदने के आवेदन को अनुमति न दें। यह रोक कानून न बनने तक या अग्रिम आदेशों तक जारी रहेगी।

   सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ताबड़तोड़ एक के बाद बड़े फैसले लेकर यह तो साफ कर दिया है कि प्रदेश के जिस संवेदनशील मुद्दे पर दो दशक से सरकारें आंखें मुंदे बैठी रही, लेकिन वह चुप नहीं बैठेंगे। वह हर बड़ा कदम उठायेंगे, जो प्रदेशवासियों के हित में होगा। यही वजह है कि भू-कानून की मांग कर रहे आंदोलनकारी भी सीएम धामी के प्रयासों की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाये। उम्मीद है कि धामी सरकार वर्ष 2024 में उत्तराखंड को सख्त भू-कानून सौंप सकते हैं, जो उत्तराखंडियत को सहेजकर रखने में सक्षम होगा।

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