आखिरी चक्रव्यूह : अब्बास की धमकी तथा यूक्रेन भी बना मुद्दा
ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने 2013 में कहा था कि हम (मुसलमान) 25 करोड़ हैं और तुम (हिंदू) 100 करोड़ हो, 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो, देख लेंगे किसमें कितना दम है। अभी हाल ही में एमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी कानपुर में बोले हम भूलेंगे नहीं देख लेगें। जब मोदी योगी चले जाएंगे.. तो देख लेंगे। देखेंगे कि कौन बचाएगा। दोनों भाइयों के जहरीले बोल अभी लोग ठीक से भूल भी नहीं पाएं थे कि अब जेल में कैद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की धमकीभरा वीडियो, जिसमें मुख्तार ने सरकार बनने की धमकी में अखिलेश यादव का नाम लेकर कहा है कि ट्रांसफर से पहले अधिकारियों से हिसाब-किताब होगा, इतना वायरल हो गया है कि अब यह चुनावी मुद्दा बन गया है। ये धमकी ऐसे वायरल हो रहा है, जैसे हिंदू-मुस्लिम में जंग शुरु हो गयी है। खास यह है कि इस आखिरी चरण में यूक्रेन की भी इंट्री हो गयी है। राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बढ़ती देश की ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है, पाकिस्तान वाले भी तिरंगा लेकर यूक्रेन से निकल रहे। फिलहाल, इन बयानों व धमकी भरे वीडियों का असर कितना होगा, यह तो 10 मार्च को पता चलेगा, लेकिन आखिरी चरण के चुनाव में यह मुद्दा हर शख्स की जुबान है
–सुरेश गांधी
सातवें चरण के महासंग्राम के लिए 7 मार्च को वोटिंग है, जिसकी तैयारियों में सभी दलों ने अपनी जी-जान लगा दी है। देखा जाए तो अंतिम चक्रव्यूह के 9 जिलों की 54 सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होने वाले हैं, क्योंकि इसमें न सिर्फ योगी सरकार के 6 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, बल्कि यह भी तय हो जायेगा कि राजतिलक योगी का होगा या अखिलेश का। इसके लिए हर नेता अपने-अपने मुद्दों को लोगों में परोस रहा है। एक से बढ़कर दावों के बीच नारे लगाए गए। अंतिम अस्त्र-शस्त्र और ब्रह्मास्त्र भी चलाए जा चुके हैं। सत्ता के लिए सातवें चक्रब्यूह की अहमियत कितनी है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बनारस में रहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाला। जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी शक्ति प्रदर्शन में पूरी ताकत झोंक दी। बसपा खामोशी से दबे पांव चाल चलती रही। चुनाव-दर-चुनाव सिकुड़ते जनाधार को सहेजते हुए कांग्रेस ने भी जोर अजमाने में कमी नहीं की। इसमें जहां बीजेपी केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार के विकास और कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद, मुफ्त राशन के नाम पर वोट मांग रही है तो उसके विरोधी महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्या और आवारा मवेशियों का मुद्दा उठा रहे हैं। लेकिन चुनाव के आखिरी दौर में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास की धमकी भरा वीडियों पूरे चुनाव को अलग दिशा में मोड़ दिया है। हालांकि अब्बास के इस बिगड़े बोल पर मुकदमा दर्ज कर लिया है लेकिन लोगों की जुबान पर इस कदर छा गया है कि वोट अब इसी मुद्दे पर पड़ने वाले है। बीजेपी के लोगों का मानना है कि कोविड के प्रकोप के बाद से महीने में दो बार 15 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन मिलना, उनकी पार्टी को फायदा पहुंचाएगा। जबकि सपा सहित पूरे विपक्ष को लगता है कि लोग महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्या और आवारा मवेशियों जैसे मुद्दों पर वोट करेंगे। पांडेयपुर के रामआधर यादव कहते है ये मुद्दे तो है ही लेकिन जिस तरीके से धमकी दी जा रही है उससे पता लगता है कि आगे क्या होने वाला है। ऐसे में धमकी को ध्यान में रखते हुए जाति से ऊपर उठकर वोट कर सकते हैं।
मोदी योगी के सहारे जंग जीतने की आस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की आठों सीटों पर विपक्ष और भाजपा में जबरदस्त घमासान है। पिछले चुनाव में भाजपा और सहयोगी अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने मिलकर सभी सीटों पर विजय पताका फहराई थी। हालांकि, इस बार दक्षिणी सीट से नीलकंठ तिवारी को सपा के कामेश नाथ दीक्षित (किशन) से, तो शिवपुर सीट पर मंत्री अनिल राजभर को सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर से चुनौती मिलती दिख रही है। यह अलग बात है कि मोदी मैजिक के सहारे दोनों मंत्री सीट बचाने में कामयाब हो सकते हैं। जायसवाल क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल का कहना है कि दक्षिणी के लोगों में जबरदस्त नाराजगी के बावजूद लोग मोदी-योगी के नाम पर इस शर्त पर वोट देंगे कि उन्हें दोबारा मंत्री न बनाया जाएं। शहर उत्तरी से चुनाव लड़ रहे मंत्री रवींद्र जायसवाल के सामने सपा ने अशफाक अहमद को मैदान में उतारा है। बाहरी का ठप्पा होने की वजह से अशफाक को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। खजुरी के संदीप तिवारी, हुकूलगंज के रमेश यादव, पांडेयपुर के बबलू जायसवाल, पहडियां के कमलेश सिंह का कहना है कि रवीन्द्र इस बार एक लाख से अधिक वोट से जीतेंगे। पिंडरा से भाजपा के मौजूदा विधायक अवधेश सिंह को कांग्रेस के अजय राय कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बतौर विधायक अवधेश को लेकर ‘एंटी इनकम्बेंसी’ और इसी क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे अजय राय के प्रति लोगों में सहानुभूति की वजह से इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा है।
उधर, सेवापुरी में भी भाजपा प्रत्याशी नीलरतन पटेल और सपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है। 2017 में नीलरतन अपना दल (एस) के टिकट से इसी सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार यह सीट भाजपा के पास है और नीलतरन भाजपा के प्रत्याशी हैं। इसके बदले अपना दल (एस) को रोहनिया सीट दी गई है, जिसपर सुनील पटेल को उतारा गया है। यहां के मौजूदा भाजपा विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह का टिकट काट दिया गया था। सुनील के खिलाफ अपना दल (कमेरावादी) ने अभय कुमार को उतारा है। इस सीट पर भी दोनों दलों के बीच सीधा मुकाबला है। इसी प्रकार भाजपा की परंपरागत सीट रही वाराणसी कैंट भाजपा के सौरभ श्रीवास्तव को कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा से कड़ी टक्कर मिल रही है। माना जा रहा है कि अगर ब्राह्मण मतदाताओं ने अपना मूड बदला तो परिणाम भी बदल सकता है। अजगरा में भाजपा ने बसपा के पूर्व विधायक त्रिभुवन राम को मैदान में उतारकर लड़ाई को रोचक बना दिया है। 2012 में लोक निर्माण विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष त्रिभुवन राम इसी सीट से विधायक चुने गए थे और उनका गांव भी इसी क्षेत्र में है। इस बार वह भाजपा के प्रत्याशी हैं। इनके सामने सुभासपा ने मौजूदा विधायक कैलाश सोनकर का टिकट काटकर नया चेहरा सुनील कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है।
बाहुबलियों पर सबकी नजर
इस चरण में मऊ सदर से मुख्तार अंसारी ने अपने बड़े बेटे अब्बास को मऊ सदर से सुभासपा के टिकट पर सपा गठबंधन की ओर से उतारा है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में शूटिंग के शौकीन अब्बास अंसारी को घोसी से हार मिली थी। इस चुनाव में वह भाजपा के दिग्गज नेता फागू चौहान से हार गए थे। भदोही जिले की ज्ञानपुर विधानसभा सीट से विजय मिश्र प्रमासपा से जहां आगरा जेल से चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। उनके खिलाफ 22 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसमें दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या का प्रयास आदि हैं। विधानसभा चुनाव 2017 में सपा से टिकट कटने के बाद निषाद पार्टी से लड़े थे। करीब 22 हजार मतों से जीत दर्ज की थी। इसके पहले वह 2002 से तीन बार सपा से ही विधायक थे। वहीं दूसरी ओर बिहार में भाजपा व जदयू का साथ है तो जौनपुर के मल्हनी में दो-दो हाथ करने को भाजपा व जदयू के प्रत्याशी तैयार हैं। जदयू ने मल्हनी से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व सांसद केपी सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं सपा ने अपने विधायक लकी यादव पर दांव लगाया है। ऐसे में यहां लड़ाई रोचक होती नजर आ रही है। राजग के घटक जनता दल (यू) ने इस सीट से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को टिकट दे दिया है। मल्हनी से चुनाव लड़ रहे धनंजय सिंह पर भी कई मामले दर्ज हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मल्हनी विधानसभा क्षेत्र से जदयू के उम्मीदवार पूर्व सांसद धनंजय सिंह के नामांकन पर लखनऊ में हुई हत्या के मामले को लेकर मऊ के पूर्व प्रमुख स्व. अजीत सिंह की पत्नी रानू सिंह ने सवाल उठाया था।
हारे तो लटक जायेगी 47 अरब की परियोजनाएं
वाराणसी में प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास की हुई करीब 75 से अधिक महत्पूर्ण योजनाए गतिमान है। जिसकी लागत 47 अऱब 71 करोड़ 94 लाख (4771.94 करोड़) हैं। कहा जा रहा है कि अगर हारे तो ये योजनाएं लटक जायेंगी। इसमें काशी के यातायात को सुगम बनाने वाली देश की पहली रो-पवे व 19 मंजिल की प्रदेश की पहली डमरू के आकार की प्रस्तावित स्काई वाक बिलिं्डग सहित बनारस की यातायात को संजीवनी देने वाली लहरतारा फुलवरिया मार्ग, संत रविदास जन्मस्थली का पर्यटन विकास, ग्रामीण क्षेत्र पिंडरा में फायर स्टेशन, बाबतपुर कपसेठी भदोही रोड पर फोर लेन आरओबी, सेंटर फॉर स्किलिंग एंड टेक्निकल सपोर्ट, वाराणसी अर्बन गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट ,सीवेज़ के बड़े काम, ट्रांस वरुणा क्षेत्र में सीवर हाउस चैम्बर को जोड़ने की प्रक्रिया, किसानो की आय दुगनी करने के लिए पैक हाउस, आईटीआई, अटल आवासीय स्कूल, सम्पूर्णानन्द स्टेडियम में विकास कार्य, स्टेडियम में सिंथेटिक एथलीट ट्रैक, खिड़किया घाट का पुनर्विकास ,अस्पताल, आवास, पेयजल, शिक्षा आदि प्रमुख है। जबकि जीते तो ये योजनाएं मुख्यतः युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ थी ही पूर्वांचल की विकास की गाथा लिखने वाली साबित हो सकती है।
बीजेपी को अपनी 29 सीटे बचाने की चुनौती
वाराणसी में सात मार्च को 30 लाख 80 हजार 840 मतदाता 70 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। इस समय सबसे ज्यादा वोटर वाराणसी कैंट और सबसे कम मतदाता शहर दक्षिणी में हैं। पिंडरा में 372639, अजगरा में 372512, शिवपुर में 373296, रोहनिया में 407917, उत्तरी में 426787, दक्षिणी में 323470, कैंट में 458925, सेवापुरी में 345294 मतदाता है। सातवें चरण में जिन 54 सीटों पर मतदान होना है, उनमें से 29 सीटें बीजेपी ने, 11 सीटें सपा ने, 6 सीटें बसपा ने, 3 सीटें सुभासपा ने और निषाद पार्टी ने 1 सीट 2017 के चुनाव में जीती थी। सुभासपा ने पिछला चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था। इस बार वह सपा के साथ मिलकर लड़ रही है। वहीं निषाद पार्टी ने पिछला चुनाव अकेले लड़ा था। इस बार वह बीजेपी की गठबंधन सहयोगी है।
7 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
इस चरण में योगी आदित्यनाथ सरकार के 7 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर वाराणसी के शिवपुर, स्टांप और निबंधन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल वाराणसी उत्तर, पर्यटन और संस्कृति मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नीलकंठ तिवारी वाराणसी दक्षिण, आवास और शहरी नियोजन मंत्री गिरीश यादव जौनपुर सदर सीट, ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकरसिंह पटेल मिर्जापुर की मड़िहान, सहकारिता राज्य मंत्री संगीता यादव बलवंत गाजीपुर सदर और राज्य मंत्री संजीव गोंड सोनभद्र की ओबरा सीट से चुनाव मैदान में हैं। वहीं वन और पर्यावरण विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे दारा सिंह चौहान मउ जिले की घोसी सीट से उम्मीदवार हैं। वो अब सपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं दुर्गा प्रसाद यादव इस बार लगातार 9वीं बार विधानसभा पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. वो आजमगढ़ सदर सीट से सपा के उम्मीदवार हैं। इस चरण में तीन उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जो लगातार 5वीं बार विधानसभा जाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें आजमगढ़ की निजामाबाद सीट से आलमबदी, जौनपुर की शाहपुर सीट से शैलेंद्र यादव ललई और भदोही की ज्ञानपुर सीट से विजय मिश्र का नाम शामिल है. पिछले चुनाव में बीजेपी की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इस बार समाजवादी पार्टी के साथ है. सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर गाजीपुर की जहूराबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
चंदौली में है कड़ा मुकाबला
जिले की चारों सीटों पर 2017 का परिणाम दोहराए जाने की कोशिशें हो रही हैं। हालांकि, इस बार भाजपा ने चार में दो सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं। दोनों सीटों के मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर भाजपा ने नए चेहरे उतारे हैं, इसलिए पार्टी की मुश्किलें थोड़ी कम हो गई हैं। अलबत्ता जिले की चर्चित सीट सैयदराजा में इस बार सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। मौजूदा विधायक सुशील सिंह को सपा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्ल्यू से कड़ी चुनौती मिल रही है। जबकि सकलडीहा सीट पर सपा के मौजूदा विधायक प्रभुनाथ यादव और भाजपा के सूर्यमुनि तिवारी के बीच कड़ी टक्कर है। इसी प्रकार मुगलसराय सीट से मौजूदा विधायक साधना सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने रमेश जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है और सपा ने चंद्रशेखर यादव को व कांग्रेस ने चार बार के विधायक छब्बू पटेल को टिकट दिया है। इस सीट पर सपा-भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है। हालांकि केन्द्रीय मंत्री महेन्द्रनाथ पांडेय ने इस सीट को बचाएं रखने के लिए पूरी ताकत झोक दी है और जीत के प्रति आश्वस्त है। यही वजह है कि मुगलसराय में सपा प्रत्याशी बौखला गए है और भाजपा प्रत्याशी पर जानलेवा हमला किए। हालांकि सपा के इस हरकत से रमेश जायसवाल की जीत काफी हद तक तय मानी जा रही है। चकिया के मौजूदा विधायक शारदा प्रसाद का टिकट काटकर भाजपा ने कैलाश खरवार को उतारा है। जबकि सपा ने विजयकांत पासवान को उतारकर लड़ाई को रोचक बना दिया है।