वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण व शनिश्चरी अमावस्या पर चार दिसंबर को
इंदौर: शहरभर के शनि मंदिरों में 4 दिसंबर को पुत्र शनिदेव का पूजन होगा जबकि दूसरी ओर पिता सूर्य को ग्रहण लगने से वे पीड़ित अवस्था में होंगे। यह स्थिति एक ही दिन शनिश्चरी अमावस्या और वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण होने से बनी है। सूर्य ग्रहण की अवधि चार घंटे आठ मिनट होगी। हालांकि ग्रहण भारतभर में दिखाई नहीं देने से इसका धार्मिक महत्व नहीं होगा। सूतक भी नहीं लगेगा जिसके कारण श्रद्धालु गर्भगृह में प्रवेश कर आराध्य के स्पर्शकर दर्शन-पूजन कर सकेंगे।
ज्योतिर्विद् रमाकांत बड़वे के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 3 दिसंबर को दोपहर 4.55 बजे होगी जो अगले दिन 4 दिसंबर को दोपहर एक बजकर 12 मिनट तक रहेगी। शनिवार के दिन सूर्य ग्रहण का आरंभ सुबह 10.59 और समाप्ति तीन बजकर 07 मिनट पर होगी। शनिश्चरी अमावस्या पर सूर्यग्रहण लगना महत्वपूर्ण है। हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देने से सूतक भी नहीं लगेगा। इसके चलते मंदिर खुले रहेंगे। मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि की साढे साती और ढैय्या से मुक्ति के लिए शनिदेव का पंचामृत से स्नान, तिल-तेल से अभिषेक, शनि चालीसा का पाठ और दान का विशेष महत्व है।
मकर, कुंभ, धनु पर साढ़े साती, मिथुन, तुला पर ढैया
गजासिन शनिधाम उषानगर के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर दादू महाराज का कहना है कि मकर, कुंभ व धनु राशि पर शनिदेव की साढ़े साती और मिथुन, तुला पर ढैया चल रही है। इन राशियों को पीढ़ा शांत करने के लिए शनि मंत्र का 11 या 21 मंत्र का जाप करना चाहिए। पीपल के पेड़ का पूजन कर दीपदान भी विशेष लाभदायक होता है। शनिश्चरी अमावस्या पर शनि मंदिर में जाकर सरसो, तिल्ली का तेल, काला कपड़ा, उड़द चढ़ाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही जरूरतमंद को जूते-चप्पल का दान भी लाभदायक है।