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10 वर्षीय छात्र का कमाल, ऐप बनाकर वकीलों का काम किया आसान

नई दिल्ली: कोरोना के इस दौर में ऐप टेक्नॉलॉजी की पढ़ाई कई समस्याओं का समाधान कर रही है। ऐसा ही एक समाधान 10 वर्षीय छात्र कनिष्कर आर ने कर दिखाया है। कनिष्कर ने पेशे से वकील अपने पिता की मदद एक ऐप बनाकर की। दस्तावेज संभालने में मददगार यह ऐप वकीलों और अधिवक्ताओं को अपने क्लाईंट एवं काम से संबंधित दस्तावेज संभालने में मदद करता है। 10 वर्षीय कनिष्कर का यह ऐप अब उसके पिता ही नहीं बल्कि देश के कई अन्य वकील भी इस्तेमाल कर रहे हैं और यह एक उद्यम की शक्ल ले रहा है।

कनिष्कर अपने पिता को फाईलें संभालते देखता था, जो दिन पर दिन बढ़ती चली जा रही थीं। जल्द ही वह समझ गया कि उसके पिता की तरह ही अन्य वकील भी थे, जो इसी समस्या से पीड़ित थे। इसलिए जब कनिष्कर को पाठ्यक्रम अपने कोडिंग के प्रोजेक्ट के लिए विषय चुनने का समय आया, तो उसने कुछ ऐसा बनाने का निर्णय लिया, जो उसके पिता की मदद कर सके।

वेल्लोर के इस 10 वर्षीय छात्र ने अपनी लगन से वकीलों के लिए ई-अटॉर्नी नामक एक ऐप बना डाला। इस ऐप का मुख्य उद्देश्य वकीलों और अधिवक्ताओं को अपने क्लाईंट के एवं काम से संबंधित दस्तावेज संभालने में मदद करना है। इस ऐप द्वारा यूजर्स साईन इन करके अपने काम को नियोजित कर सकते हैं और क्लाईंट से संबंधित दस्तावेज एवं केस की अन्य जानकारी स्टोर करके रख सकते हैं।

इस ऐप के माध्यम से यूजर्स सीधे क्लाईंट्स से संपर्क भी कर सकते हैं। जिन क्लाईंट्स को उनके वकील द्वारा इस ऐप की एक्सेस दी जाती है, वो भी ऐप में स्टोर किए गए अपने केस के दस्तावेज देख सकते हैं।

इस ऐप के बारे में कनिष्कर ने आईएएनएस से कहा, काम के बोझ के कारण मेरे पापा रात में देर से घर आते थे, जिससे मैं और मेरी बहन निराश हो जाते थे। मैं कभी-कभी उनके ऑफिस जाता था और देखता था कि उनके जूनियर एवं अन्य वकील दस्तावेज तलाश रहे होते थे, जिस वजह से और विलंब हो जाया करता था। वकील दस्तावेज संभालने, साक्ष्य एकत्रित करने, क्लाईंट्स से बात करने, उन्हें तारीखों के बारे में सूचित करने जैसे अनेक काम एक साथ संभाल रहे होते थे। मैं चाहता था कि मेरे पापा अपना काम जल्दी खत्म कर लें, ताकि वो ऑफिस से जल्दी घर आ जाएंगे।

कनिष्कर ने कहा, तभी मेरे मन में उनकी समस्या का हल निकालने का विचार पनपा। मैंने कोडिंग के अपने ज्ञान का इस्तेमाल कर एक ऐप बनाकर उनकी मदद करने का निर्णय लिया, ताकि वो और उनके जैसे अन्य वकील अपने दस्तावेज भी संभाल सकें और अपने क्लाईंट्स को सूचित भी रख सकें। मैंने सबसे पहले ई-अटॉर्नी के लिए एक प्रोटोटाईप बनाया, जिसमें वकीलों के लिए साईन-इन करने, क्लाईंट का विवरण डालने, केस की जानकारी एवं अन्य मूलभूत जानकारी स्टोर करने की सुविधा थी।

एक कोडिंग प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ यह काम तब काफी बड़ा हो गया, जब कनिष्कर ने व्हाईटहैट जूनियर में आयोजित एक प्रतियोगिता जीत ली और उन्हें ऐप का विकास करने के लिए व्हाईटहैट जूनियर ने स्कॉलरशिप दी।

स्कॉलरशिप की राशि से कनिष्कर के अभिभावकों को ई-अटॉर्नी को एक पूर्ण विकसित बाल-संचालित उद्यम में तब्दील करने में मदद मिली। अपने बच्चे के विचार को और आगे बढ़ाने के लिए, उन्होंने पीआरके ऑनलाईन सॉल्यूशंस नामक कंपनी रजिस्टर की और ऐप में सुधार करने के लिए एक प्रोफेशनल टेक टीम नियुक्त की, ताकि इसे प्रोटोटाईप से एक वेब एप्लीकेशन के रूप में विकसित किया जा सके, जिसका उपयोग वकील कर सकें।

उसके पिता रजनी के. ने कहा, मैं कुछ हफ्तों से यह ऐब इस्तेमाल कर रहा हूं। इसके फीचर्स बहुत उपयोगी हैं। क्लाईंट्स को सूचित करने के लिए हम हमेशा जूनियर्स और क्लर्क पर निर्भर रहते हैं, लेकिन इस ऐब एप्लीकेशन का इस्तेमाल करके हम इस विलंब को कम कर सकते हैं। यह ऐब ऐप त्रुटियों को कम करता है।

कनिष्कर के मेंटर, नीलकंतन एस ने इस प्रोजेक्ट में कनिष्कर की मदद की। उन्होंने बताया, ई-अटॉर्नी ऐप एक सरल एवं शक्तिशाली टूल है, जिसमें उन वकीलों के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाने की क्षमता है। कनिष्कर ने कड़ी महनत कर सुनिश्चित किया है कि इस ऐप का इस्तेमाल दस्तावेज अपलोड करने और क्लाईंट्स से संपर्क करने के लिए हो सके। इसका डिजाईन सरल होने के बावजूद प्रभावशाली है और यह इस्तेमाल में बहुत आसान है। अब वह इस ऐप को टेस्ट कर इसे ग्लिच-फ्री बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कनिष्कर ने अपने पिता की मदद करने की अपनी इच्छा को एक उद्यम में तब्दील कर दिया। वह इस उद्यम के भविष्य एवं संभावनाओं के लिए उत्साहित है।

कनिष्क का उद्यमशीलता का सफर अभी शुरू ही हुआ है और वह पांच वकीलों के साथ इस ऐप को टेस्ट करना शुरू कर चुका है ताकि हर चीज सुगमता से चले। इस समय वह अपनी टेक टीम के साथ मिलकर बग्स और ग्लिच दूर कर रहा है। चूंकि इस एप्लीकेशन में कानूनी मामलों की संवेदनशील जानकारी स्टोर होगी, इसलिए इसमें अनेक सिक्योरिटी उपायों का इस्तेमाल होगा। कनिष्कर एक वकील, के मोहन के. इस ऐप को टेस्ट कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, मैं इस वेब ऐप का इस्तेमाल कुछ दिनों से कर रहा हूँ। वकील एवं क्लाईंट के बीच प्राईवेट चैट फीचर बहुत उपयोगी है। इसका दूसरा फायदा है कि इसमें अनेक सर्च की जा सकती हैं। इस ऐप द्वारा वकील अपने केस का ट्रैक भी रख सकते हैं।

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