भोपाल : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर सक्रियता भले ही दिल्ली में हो, लेकिन भविष्य की गतिविधियों की आहट मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी महसूस की जा रही है। कांग्रेस को ‘गांधी परिवार’ से मुक्त अध्यक्ष (Gandhi Family Free Congress President) मिल सकता है, इसे लेकर भी मध्य प्रदेश में पार्टी के नेताओं में कई नाम ऐसे हैं, जो आशान्वित नजर आ रहे हैं।
दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया ने इसे लेकर प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं से राय जानी। ज्यादातर नेताओं का मानना है कि कांग्रेस (Congress) हाईकमान के पास कई सवालों के जवाब नहीं हैं, जैसे- ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) से लेकर अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh), आरपीएन सिंह (RPN Singh), सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar), जतिन प्रसाद (Jatin Prasad) और गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस क्यों छोड़ी? आनंद शर्मा (Anand Sharma) ने सवाल क्यों उठाए? कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को जी-23 (G23) समूह क्यों बनाना पड़ा? वे कहते हैं कि जब इन सवालों के जवाब हाईकमान यानी गांधी परिवार के पास नहीं हैं तो आप इसके क्या मायने निकाल सकते हैं। यह भी कारण हो सकता है कि गांधी परिवार खुद ही कुछ समय के लिए पार्टी की कमान किसी अन्य को सौंप दे।
गांधी परिवार (Gandhi Family ) के सामने इस बार दोहरा संकट है। एक ओर तो भाजपा, खासतौर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) परिवारवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गांधी परिवार को निशाना बना रहे हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की पूछताछ के आधार पर भ्रष्टाचार के आरोपों से भी गांधी परिवार घिरा है। गांधी परिवार के सामने दूसरा बड़ा संकट पार्टी का आंतरिक कलह है। पार्टी का एक बड़ा धड़ा नेतृत्व के खिलाफ है। वह बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने से नाराज है। वह नेतृत्व से इस बात का जवाब चाहता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में वजनदार नेता कांग्रेस क्यों छोड़ रहे हैं।
कई मौकों पर यह सामने आ चुका है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की रुचि नहीं है। दूसरी तरफ उम्र और अस्वस्थता के चलते सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पार्टी की कमान संभालेंगी, इसकी संभावना न के बराबर है। ऐसे में गांधी परिवार अपने किसी विश्वस्त करीबी नेता को पार्टी की कमान सौंप सकता है, जिससे कांग्रेस पर गांधी परिवारवाद का आरोप भी धूमिल हो जाए और परोक्ष रूप से रिमोट कंट्रोल भी गांधी परिवार के पास ही रहे। पार्टी के नेता कहते हैं कि सोनिया गांधी की पसंद सुशील कुमार शिंदे (Sushil Kumar Shinde) हैं, जबकि राहुल गांधी की मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) हैं।