जानें महान फुटबॉलर माराडोना के बारे में, कैसा था उनका जीवन
स्पोर्ट्स डेस्क : अपने ज़माने के बेहतरीन फुटबॉलरों की सूची में आने वाले दिग्गज फुटबॉलर डिएगो माराडोना के चलते ही अर्जेंटीना ने 1986 में फुटबॉल विश्वकप की ट्राफी जीती थी. उनकी 60 साल की आयु में हार्ट अटैक से मौत हो गयी. इससे कुछ दिन पहले उनकी ब्रेन में ब्लड क्लॉट की सर्जरी हुई थी.
वैसे माराडोना का नाम जब भी बोला जाता है, तब ‘हैंड ऑफ गॉड’ का जिक्र होता है. माराडोना उस समय के सबसे फेमस शख्सियत थे. 1997 में उन्होंने अपने बर्थडे पर फुटबॉल से रिटायरमेंट लिया. वैसे 1986 फुटबॉल विश्वकप क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ माराडोना के विवादित गोल में गेंद उनके कंधे के नीचे बाजू से लगकर गोल पोस्ट में गयी थी जिसे रेफरी देख नहीं सके थे और गोल करार दिया.
माराडोना ने इस गोल को ईश्वर की मर्जी बताते हुए ‘हैंड ऑफ गॉड’ बताया था. वो फुटबॉल एक साथ मैदान के बाहर भी सुर्खियों में रहते थे. ब्यूनस आयर्स के बाहरी हिस्से लानुस में 30 अक्टूबर, 1960 को जन्मे माराडोना का गरीब माता-पिता के आठ बच्चों में पांचवीं संतान थे. अभावों के बीच तीन वर्ष की आयु में गिफ्ट में मिली पहली फुटबॉल उनकी जिंदगी बन गयी.
फिर नन्हा डिएगो इस फुटबॉल से खेलने लग गये. उन्होंने 10 वर्ष की आयु में स्थानीय क्लब एस्त्रोला रोसा से खेलना शुरू किया. दो वर्ष बाद मामूली पैसा देते हुए लोस कैबोलिटास ने उन्होंने अपने साथ जोड़ा. उन्होंने 15 साल की आयु में अर्जेंटीनोसा जूनियर्स से पेशेवर करियर की शुरुआत की. उनके अन्दर परिवार को गरीबी से निकालने की धुन थी.
इसके बाद बोका जूनियर्स ने डिएगो माराडोना को 10 लाख पाउंड की कीमत पर क्लब में शामिल किया. इसके बाद से माराडोना को अगले वर्ष अर्जेंटीना फुटबॉल टीम में जगह मिली. फिर 1982 में अपने पहले वर्ल्डकप में वो पांच मुकाबलों में दो गोल ही दाग सके और उनकी टीम सेमीफाइनल तक पहुंची.
इसके बाद डिएगो माराडोना की कप्तानी में अर्जेंटीना ने 1986 फुटबॉल विश्वकप जीता. उनके अकेले दम पर अर्जेंटीना पहली बार विजेता बनी. उन्होंने पांच गोल दागने के साथ पांच में हेल्प भी की और उन्हें बेहतरीन प्लेयर का ‘गोल्डन बॉल अवॉर्ड’ मिलने के बाद अर्जेंटीना ही नहीँ पूरे विश्व में उनका नाम गूंज उठा.
1986 के विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ पांच प्लेयर्स को छकाकर कर दाग हुआ गोल सदी के टॉप पांच गोल में शामिल होता है. फिर कहा जाने लगा कि बेहतरीन फुटबॉलरों का कोई किस्सा अपने ज़माने के बड़े ‘शोमैन’ माराडोना के बगैर पूरा नही होता है. माराडोना को 1980 में कोकीन की लत लगी थी जिसके चलते वी 15 महीने के लिए बैन हुए थे.1991 में माराडोना पर बैन दवा लेने का आरोप था. 1994 में वर्ल्ड कप में एफेड्रिन लेने पर उनका निलंबन किया गया.
वही फीफा के पोल में पेले को पीछे छोड़ते हुए 20वीं सदी के बेहतरीन फुटबॉलर बने. इसके साथ बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार माराडोना कम से कम 11 बच्चों के पिता थे लेकिन कानूनी तौर पर सिर्फ 2 ही बच्चों के पिता हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उनके दो ही वैध बच्चे हैं और अन्य उनके पैसे और गलतियों का नतीजा हैं. उन्होंने पिछले साल माना था कि क्यूबा में भी उनके तीन बच्चे हैं.
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