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सफल किसानों की गाथा से सीखें समस्या सुलझाने के तरीके, महिला किसानों का भी दिखा कमाल

लखनऊ. किसान, किसान द्वारा दी गई नई जानकारी पर विश्वास करके प्रयोग में लाने की कोशिश भी करते हैं.  आमतौर पर किसानों के बीच में परस्पर संपर्क नई बागवानी प्रोद्योगिकी को सफ़लतापूर्वक प्रसारित करने में सहायक है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ ने यह अनूठा प्रयोग संस्थान द्वारा प्रशिक्षित और सफल किसानों को प्रशिक्षक के रूप में करने के लिए प्रयोग किया और  32 गांव के अनुसूचित जाति के किसानों को आमंत्रित किया ताकि वे सफल किसानों की गाथा से विभिन्न समस्याओं को सुलझाने के तरीके सीखें. मोहम्मद शफीक ने फ्रिज या लकड़ी के बक्से में हैचरी बनाकर कड़कनाथ और नई नस्लों के चुजे तैयार किए जो कि आमतौर पर बाजार में उपलब्ध नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि एक छोटी सी ट्रेनिंग ने किस तरह से उन्हें सफलता की तरफ अग्रसर होने में सफलता मिली.

किसानों ने दी किसानों को ट्रेनिंग

 आज शफीक ने इसको एक व्यवसाय के रूप में अपना लिया है और उनसे आसपास के लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से कड़कनाथ के  की चूजों की मांग बढ़ रही है. मोहम्मद नगर तालुकदारी के राम किशोर मौर्य ने यह बताया कि कैसे विदेशी सब्जियों को उगा कर उन्होंने अच्छा लाभ कमाया शुरू शुरू में इन सब्जियों के लोगों ने अच्छा दाम देने से इंकार कर दिया परंतु कुछ ही दिनों में इन सब्जियों की मांग मंडी में बढ़ने लगी, इन सब्जियों के विशेष स्वाद से परिचित हो जाने के बाद ग्राहकों द्वारा विशेष मांग की जाने लगी. परिणाम स्वरूप रामकिशोर को मंडी में अच्छा दाम मिलने में कोई कठिनाई नहीं हुई उन्होंने यह भी बताया कैसे सब्जियों का उत्पादन सीजन से पहले या देर में करने से अधिक लाभ कम जा कमाया जा सकता है. संस्थान द्वारा बताई तकनीकी का उपयोग करके यह कार्य और भी सरल हो गया. रमेश बक्का खेड़ा में आम के पेड़ों के बीच में हल्दी की एन डी -२  किस्म का सफल उत्पादन कर रहे हैं जिससे उनको स्थानीय किस्मों से लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज मिल रही है. उन्होंने संस्थान द्वारा बताई गई तकनीक से प्रसंस्करण करके कम लागत से ही अच्छी हल्दी पाउडर से अच्छी कमाई की|
मॉल के राजकुमार सिंह ने फलों की उन्नत नर्सरी से होने वाले लाभ और संभावनाओं के बारे में बताया. उपेंद्र सिंह ने कीटनाशक के कम से कम छिडकाव से आम उत्पादन करने में प्राप्त सफलता करने  के तरीकों के बारे में चर्चा की.

मोहम्मद नगर तालुकेदरी की श्वेता मौर्या ने आम कच्चे आम के प्रसंस्करण में अपनी सफलता गाथा  से अनुसूचित जाति के किसानों की महिलाओं को रूबरू कराया और उन्होंने बताया कि कैसे छोटे से स्तर पर काम करके आज उनका समूह दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अच्छी क्वालिटी का आमचूर बनाने के लिए संस्थान द्वारा बताई गई तकनीकि से अच्छी क्वालिटी का अमचूर बनाने तकनीकी का प्रयोग करने से अधिक लाभ तो मिला ही साथी साथ ग्राहकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई. श्वेता ने  बताया कि उसने अचार बनाने का कार्य प्रारंभ किया है जिसमें बहुत सारी महिलाएं सहयोग दे सकती हैं और इस प्रकार के समूह द्वारा अधिक मात्रा में आचार उत्पादन करके कच्चे आम द्वारा भी अधिक लाभ कमाया जा सकता है. श्वेता को भारत सरकार ने अभी हाल में ही हैदराबाद में उसके द्वारा की जा रही पहल तथा महिलाओं के बीच तकनीक्यों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए पुरस्कार दिया गया.

डॉ श्याम राज सिंह ने गृह वाटिका में सब्जी उत्पादन के गुर सिखाए एवं डॉ अशोक कुमार ने इस कार्यक्रम का सञ्चालन किया तथा डॉक्टर मनीष मिश्रा ने फार्मर फर्स्ट के किसानों द्वारा की गई प्रगति से अन्य गांव के किसानों को अवगत कराया. इस कार्यक्रम के दौरान एक छोटी सी प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें किसानों द्वारा नई तकनीकों को अपनाकर विभिन्न फसलों का के उत्पादन का प्रदर्शन किया गया. गौरव कुमार ने फ्रिज में हैचरी का प्रदर्शन किया.

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