नई दिल्ली: वामदलों ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी के विरोध में 25 मई से 31 मई तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है. लेफ्ट पार्टियों ने जारी एक संयुक्त बयान में देशभर में अपनी इकाइयों को महंगाई और बेरोजगारी के विरुद्ध इस संयुक्त और समन्वित राष्ट्रव्यापी संघर्ष का आयोजन करने का निर्देश दिया.
बयान में कहा गया है, “बेतहाशा महंगाई से लोगों पर अभूतपूर्व बोझ बढ़ रहा है. करोड़ों लोग इससे परेशान हैं और गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही बढ़ती बेरोजगारी के कारण लोगों की परेशानी कई गुना बढ़ रही है.”
वामदलों ने कहा कि पिछले एक साल में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में 70 प्रतिशत, सब्जी के दाम में 20 प्रतिशत, खाना पकाने के तेल में 23 प्रतिशत और अनाज के मूल्य में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बयान पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव देवव्रत विश्वास और अन्य वामदलों के नेताओं ने हस्ताक्षर किये.
इन दलों ने मांग उठाई कि केंद्र सरकार तत्काल सभी पेट्रोलियम पदार्थों से शुल्क और सरचार्ज वापस ले और रसोई गैस समेत अन्य चीजों के दामों में कटौती करे.
वहीं उदयपुर में आयोजित हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी कई नेताओं ने महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि, भविष्य में बेरोजगार, महंगाई और भारत के संस्थानों पर हमले बढ़ेंगे.
वहीं यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने कहा कि मुद्रास्फीति अस्वीकार्य स्तर तक बढ़ गई है, आगामी दिनों में इसके और बढ़ने का खतरा है. सरकार वास्तव में अपनी गलत नीतियों, विशेष रूप से पेट्रोल और डीजल पर उच्च करों, उच्च प्रशासित कीमतों और उच्च जीएसटी दरों के माध्यम से मुद्रास्फीति की वृद्धि को बढ़ावा दे रही है. देश में रोजगार की स्थिति कभी इतनी खराब नहीं रही है.