दबाव में कर्ज देने से बिगड़ेगी बैंकों की हालत, 6 फीसद तक पहुंच सकता है NPA- FITCH
मुंबई: रेटिंग्स एजेंसी फिच ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि सरकार के करीब 21 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज के तहत कर्ज देने से बैंकों को कर्ज की किस्तें वसूल करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे अगले दो वर्षो के दौरान उनका फंसा कर्ज यानी एनपीए अनुपात बढ़कर छह फीसद तक हो सकता है।
फिच रेटिंग्स ने कहा कि जबरन कर्ज देने के दबाव के चलते बैंकों का एनपीए अनुपात दो से छह फीसद के बीच रह सकता है। यह बैंकों के हालात की गंभीरता और बैंकों के जोखिम लेने की क्षमता और उच्च नियामक प्रावधानों पर निर्भर करेगा। एजेंसी ने हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों के एनपीए के बारे में अलग-अलग अनुमान नहीं दिया है।
सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज में बैंक ऋण में कई तरह की राहत और मोरेटोरियम में 90 दिनों की वृद्धि शामिल है। फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये उपाय विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर भारी बोझ डालेंगे, जिनकी बैलेंस शीट पहले ही बहुत कमजोर है।
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के काबू में आने तक डिमांड और मैन्यूफैक्चरिंग दोनों ही खराब स्थिति में रहने वाले हैं। सभी क्षेत्रों में तनाव बढ़ रहा है, लेकिन एमएसएमई और खुदरा क्षेत्र में सबसे अधिक जोखिम होगा।