प्रिंसिपलों की नियुक्ति पर रोक का आरोप गलत; LG का सिसोदिया को जवाब; पदों के लिए अध्ययन की दी थी सलाह
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा 244 पदों को समाप्त करने के आरोपों का उपराज्यपाल कार्यालय ने खंडन किया है। एलजी की तरफ से कहा गया है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल प्रधानाध्यापकों के 244 पदों को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया था। पांच साल तक पद भरे नहीं जाने के कारण इन्हें समाप्त समझा गया।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उप राज्यपाल पर नियुक्ति पर रोक लगाने का आरोप लगाया था। रविवार को उनकी ओर से कहा गया था कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि 370 प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए फाइल उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी जाए, लेकिन केवल 126 पदों को ही मंजूरी दी गई और उप राज्यपाल मामूली आधार पर 244 पदों की नियुक्तियां रोक रहे हैं।
उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा है कि 244 पदों को समाप्त करने का प्रस्ताव शिक्षा मंत्रालय की ओर से दिया गया था। उपराज्यपाल इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे और उन्होंने शिक्षा को प्रधानाध्यापकों के पदों को समाप्त करने या बनाए रखने पर एक अध्ययन कराने की सलाह दी थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने उपमुख्यमंत्री की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें गलत, तथ्य रहित, भ्रामक, संवैधानिक प्रावधानों और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने वाला करार दिया है।
उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से बताया गया कि 12 अप्रैल 2017 के वित्त मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक इन पदों को समाप्त माना गया था, क्योंकि शिक्षा विभाग उन्हें पांच साल से अधिक समय तक भर नहीं सका। वित्त मंत्रालय के निर्देश में प्रावधान है कि समाप्त मानने की श्रेणी में आने वाले पद को सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना नहीं भरा जा सकता है।