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कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर का निधन, 8 साल से कोमा में थे

चंडीगढ़: कुपवाड़ा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में लड़ने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह जिंदगी की जंग हार गए। वो 2015 में आतंकियों से जंग में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और आठ वर्षों से कोमा में थे। सैन्य अस्पताल जालंधर में उन्होंने आखिरी सांस ली। वह सेना मेडल से सम्मानित थे। पंजाब के सैनिक कल्याण निदेशक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीए ढिल्लों ने लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर के निधन की खबर की पुष्टि की है।

जानकारी के अनुसार, नवंबर 2015 में लेफ्टिनेंट कर्नल नट 160 प्रादेशिक सेना बटालियन (जेएके राइफल्स) के सेकेंड-इन-कमांड (2IC) के रूप में कार्यरत थे। इस दौरान उन्होंने कुपवाड़ा के पास एक गांव में छिपे आतंकवादियों के खिलाफ तलाशी अभियान का नेतृत्व किया था। लेफ्टिनेंट कर्नल नट को मूल रूप से 1998 में ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स में एक शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2012 में सेवा से मुक्त होने से पहले 14 वर्षों तक रेजिमेंट में सेवा की। शॉर्ट सर्विस के रूप में सेवा पूरी करने के बाद वह प्रादेशिक सेना में शामिल हो गए।

मुठभेड़ में घायल
जब 25 नवंबर 2015 को नियंत्रण रेखा LOC के करीब जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हाजी नाका गांव में एक झोपड़ी में छिपे एक आतंकवादी ने उन पर गोलीबारी की, तो हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल नट के चेहरे, विशेषकर निचले जबड़े पर गंभीर चोटें आईं। उन्हें पहले श्रीनगर के सैन्य अस्पताल और बाद में नई दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए कठिन सर्जरी की। लेफ्टिनेंट कर्नल नट का परिवार मूल रूप से बटाला के पास गांव ढाडियाला नट का रहने वाला है। उनके परिवार में उनकी पत्नी नवप्रीत कौर और बेटियां गुनीत और अशमीत हैं।

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