मंगल पर आसान हो सकता है जीवन, लेकिन…
रोबोटिक रोवर्स वर्तमान में मंगल की सतह की खोज करने में लगे हुए है। रोवर के मिशन के एक भाग के अंतर्गत जीवन के संकेतों का पता लगाने के लिए ग्रह का सर्वेक्षण करना पड़ेगा। हो सकता है कि खोजने के लिए वहां कुछ न हो- लेकिन तब क्या जब वहां कुछ हो, और रोवर्स इसे देख ही न पाएं? ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित शोध के अनुसार रोवर्स के मौजूदा उपकरण वास्तव में जीवन के प्रमाण खोजने के कार्य के लिए उपयुक्त नहीं हैं। सूक्ष्म जीव विज्ञानी के रूप में जहां यह लगभग असंभव लगता है, लेकिन उससे मैं भली-भांति परिचित हूं।
एस्ट्रोबायोलॉजी में, हम पृथ्वी पर उन पर्यावरणीय या भौतिक विशेषताओं वाले स्थलों में जीवन की विविधता का अध्ययन भी कर रहे है जो पहले से ही मंगल ग्रह पर वर्णित इलाकों से मिलते-जुलते हैं। हम इन स्थलीय वातावरण को ‘मार्स एनालॉग’ साइट भी बोलते है।
खोज की सीमाएं : मैड्रिड में सेंटर फॉर एस्ट्रोबायोलॉजी में अरमांडो अज़ुआ-बस्टोस के नेतृत्व में नए अनुसंधान ने वर्तमान में NASA के क्यूरियोसिटी और पर्सिवरेंस रोवर्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आधुनिक उपकरणों का और साथ ही भविष्य के विश्लेषण के लिए नियोजित कुछ नए लैब उपकरणों का परीक्षण भी किया जा रहा है। अज़ुआ-बस्टोस और उनके सहयोगियों ने पाया कि रोवर्स के टेस्टबेड उपकरणों- इलाके में नमूनों का विश्लेषण करने संबंधी उपकरणों – में जीवन के संकेतों का पता लगाने की सीमित क्षमता थी जिसकी हम लाल ग्रह पर खोज करने का अनुमान भी लगा सकते है। वे नमूनों के खनिज घटकों का पता लगाने में सक्षम थे, लेकिन हमेशा कार्बनिक अणुओं का पता लगाने में सक्षम नहीं थे।
सबसे पहले, हमें एनालॉग ‘चरम’ वातावरण में मौजूदा (और जिनका पता लगाया जा रहा है) जीवन की जैविक और भौतिक सीमाओं को परिभाषित करना जरुरी है। फिर हमें जीवन के लिए बायो सिग्नेचर की पहचान करने के लिए उपकरण विकसित करने की आवश्यकता है। इनमें कार्बनिक अणु जैसे लिपिड, न्यूक्लिक एसिड और प्रोटीन शामिल हैं। अंत में, हम यह निर्धारित करते हैं कि पृथ्वी और मंगल ग्रह पर उन बायोसिग्नेचर का पता लगाने के लिए कितना संवेदनशील उपकरण होना जरुरी है।