सिद्धा पहाड़ पर प्रशासकीय खनन अनुमति की तैयारी, स्थानीय लोगों का विरोध
सतना : भगवान राम के वनगमन पथ पर स्थित सतना जिले के सिद्धा पहाड़ को खोदने की प्रशासकीय अनुमति होने जा रही है। आस्था के केंद्र इस पहाड़ पर सतना जिले के खनन कारोबारियों को खनन की परमिशन देने मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लोक सुनवाई करने का निर्णय लिया गया है।
रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट उल्लेख है कि यह पहाड़ राक्षसों द्वारा ऋषि मुनियों को मारने के बाद उनके अस्थि समूह के ढेर से बना है लेकिन सरकार यहां बाक्साइट, लेटराइट खनन के लिए अनुमति हिन्दू आस्था पर चोट की तरह गूंज सकती है। इसके लिए तीस सितम्बर को सतना जिले के सिद्धा गांव जो पहाड़ के नाम पर है, लोक सुनवाई की जाने वाली है।
एक दशक पहले 2011-12 में भी सरकार ने इसकी कोशिश की थी लेकिन तब स्थानीय विरोध के चलते कार्यवाही रुक गई थी और तबके सतना कलेक्टर ने उस क्षेत्र को खनन मुक्त घोषित कर दिया था। अब पर्यावरणीय स्वीकृति के नाम पर फिर कार्यवाही शुरू की गई है।
सतना मझगवां क्षेत्र में लगातार कई जगहों पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है, इसकी शिकायतें पहले भी आती रही हैं। पिछले साल ही स्थानीय लोगों ने प्रशासन को इसकी जानकारी दी थी कि कई ऐसे क्षेत्रों में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। जो राम पथ वन गमन मार्ग अर्थात चित्रकूट के चौरासी कोसीय परिक्रमा क्षेत्र के अंदर आता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्राचीन अवशेषों को नष्ट किया जा रहा है। सरभंगा आश्रम, सिद्धा पहाड़ हो या ग्राम पंचायत देवरा का बरुई पहाड़ पर इन सभी जगहों पर अवैध खनन किया जा रहा है। लोगों ने बताया कि बरुई पहाड़ में लैटराइट, बाक्ससाइड, का भरपूर मात्रा में है। जिसके कारण अन्यत्र जगह की लीज पर बरुई पहाड़ को भी निशाना बनाया गया है।
पवित्र सिद्धा पहाड़ पर खनन की अनुमति की तैयारियों की जानकारी के बाद क्षेत्र में विरोध के स्वर गूंजने लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे ऐसा होने नहीं देंगे। लोग बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है। हरियाणा के देरैली गाँव के डॉ. राम अवतार शर्मा ने का कहना है कि उन्होंने भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में संग्रहालय स्थापित किया है। डॉ. शर्मा ने लिखा है कि पूरी यात्रा में उन्हें जो सबसे ज्यादा अद्वितीय लगा, वह सतना जिले के बिरसिंहपुर क्षेत्र स्थित सिद्धा पहा़ड़ है। यहाँ पर भगवान श्रीराम ने निशाचरों का नाश करने पहली बार प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने लिखा है कि यह वही पहाड़ है जिसका वर्णन रामायण में किया गया है।
रामचरित मानस में अरण्य कांड में उल्लेख है कि भगवान राम जब चित्रकूट से आगे की ओर बढ़े तो सिद्धा पहाड़ मिला, यह पहाड़ अस्थियों का था। तब राम को मुनियों ने बताया कि राक्षस कई मुनियों को खा गए हैं और यह अस्थियां उन्हीं मुनियों की हैं। भगवान राम ने यहीं पर राक्षसों के विनाश की प्रतिज्ञा ली थी।
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह।।
भावार्थ यह है कि इसके बाद श्रीराम ने भुजा उठाकर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूूंगा। फिर समस्त मुनियों के आश्रमों में जा-जाकर उन्होंने ऋषि मुनियों को दर्शन एवं सम्भाषण का सुख दिया।