कलियुग में भगवान विष्णु लेंगे 10वां अवतार, जानें कल्कि देवता से जुड़ी ये पौराणिक कथा
नई दिल्ली : धार्मिक शास्त्रों में चार युग सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग के बारे में बताया गया है. तीन युग बीत चुके हैं और अभी कलियुग चल रहा है. शास्त्रों में उल्लेख है कि कलियुग समय के साथ और भी अधिक भयंकर होता जाएगा. कलियुग में पाप बढ़ेगा तो मनुष्य अपने कर्मों का फल भी भुगतेंगे. ग्रंथ पुराणों में कलियुग के देवता का कल्कि भी जिक्र किया गया है. मान्यता है कि कलियुग के अंत समय में भगवान कल्कि धर्म की पुनर्स्थापना के लिए जन्म लेंगे.
श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय के द्वितीय स्कंध में कल्कि अवतार की कथा का वर्णन मिलता है. जिसके अनुसार भगवान विष्णु कल्कि के रूप में 10वां अवतार लेंगे. भगवान कल्कि के पिता वेदों पुराणों के ज्ञाता विष्णुयश और माता सुमति होंगे. कल्कि के 3 बड़े भाई सुमंत, प्राज्ञ और कवि होंगे. भगवान कल्कि के गुरु परशुराम होंगे और परशुराम के आदेश से ही कल्कि शिव की आराधना कर दिव्य शक्तियां प्राप्त करेंगे. भगवान कल्कि के दो विवाह होंगे, पहली पत्नी लक्ष्मी रूप पद्मा होंगी तो दूसरी पत्नी माता वैष्णो देवी का शक्तिरूप रमा होगी. भगवान कल्कि के 4 पुत्र होंगे जिनके नाम जय, विजय, मेघवाल और बलाहक होंगे.
कल्कि पुराण में भगवान विष्णु के ही कल्कि अवतार में जन्म लेने का वर्णन मिलता है. कल्कि पुराण में बताया गया है कि कलियुग के अंत में भगवान विष्णु अपने दसवें अवतार कल्कि के रूप में जन्म लेंगे. विष्णु जी के कल्कि अवतार लेने का मुख्य उद्देश्य धरती पर लोगों के मन में फिर से धर्म के प्रति लगाव बढ़ाना होगा. कल्कि अवतार दुराचार को खत्म कर लोगों के मन में एक दूसरे के प्रति स्नेह बढ़ाकर धरती पर खुशहाली लाएंगे. भगवान विष्णु कल्कि के रूप में लोगों के मन में धर्म और संयम के साथ भगवान के प्रति भक्तिभाव बढ़ाने के लिए धरती पर जन्म लेंगे.