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गीतकार, कवि, गायिका माया गोविंद का 82 की अवस्था में निधन

मुंबई। बॉलीवुड फिल्मों के लिए कई यादगार गीत लिखने वाली विख्यात हिंदी कवि-गीतकार-गायिका माया आर. गोविंद का गुरुवार सुबह यहां उनके जुहू स्थित निवास पर लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 82 वर्ष की थीं। गोविंद मस्तिष्क और गुर्दे से संबंधित बीमारी से काफी समय से जूझ रही थी। वो सुबह 9.30 बजे चल बसीं। उनका अंतिम संस्कार दोपहर विले पार्ले श्मशान घाट पर किया गया।

गिने-चुने महिला गीतकारों में शामिल गोविंद ने लगभग 350 से अधिक फिल्मों के लिए गीत लिखे, जिनमें रोमांटिक से लेकर ऑफ-बीट, सॉफ्ट से लेकर सेन्सुअस गाने शालि हैं। उन्होंने प्रमुख संगीत निर्देशकों और फिल्म निमार्ताओं के साथ काम किया और टेली-सीरियल्स के लिए शीर्षक गीत भी लिखे। इसके अलावा उन्होंने कई किताबें भी लिखीं।

कवि-लेखक-गीतकार राम गोविंद की पत्नी रही माया गोविंद लखनऊ में पैदा हुई। बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने के लिए 1970 के दशक में मुंबई जाने से पहले वो एक शिक्षक के रूप में और ऑल इंडिया रेडियो के साथ काम कर चुकी थी। 1970 से 2000 तक उन्होंने विभिन्न फिल्मों के लिए कई यादगार गीत लिखे और फिल्म उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई।

उनके कुछ हिट गानों में ‘गुटुर, गुटूर’ और ‘ना उन्नीस से कम हो’ (दलाल), ‘दरवाजा खुला छोड़ आई’ (नाजायज), ‘आंखों में बस हो तुम’ (टक्कर), ‘लौंडा बदनाम हुआ’ (रॉक डांसर), ‘सुन सुन गोरिया’ (दामन), ‘गले में लाल टाई’ (हम तुम्हारे हैं सनम) शामिल हैं। एक मंच कलाकार के रूप में, उनके विजय तेंदुलकर के नाटक, ‘खामोश! अदालत जारी है!’ में शानदार अभिनय के लिए माया गोविंद को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया।

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