नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की होगी पूजा, जाने मुहूर्त, कथा और पूजा विधि के बारे में
नई दिल्ली : चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है. मां चंद्रघंटा भय मुक्ति का वरदान देती हैं और साथ ही आपका आत्मविश्वास बढ़ाती हैं. मां की पूजा-उपासना से आपके मंगल (mars) के दोष भी दूर होते हैं. मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के सबसे सरल और सटीक प्रयोग क्या हैं. मां चंद्रघंटा के इस स्वरूप की विशेष महिमा क्या है, मां की आराधना कैसे करें पूजन विधि क्या है?
देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है. इनकी दस भुजाएं और तीन आंखें हैं. आठ हाथों में खड्ग, बाण आदि दिव्य अस्त्र-शस्त्र हैं. दो हाथों से ये भक्तों को आशीष देती हैं. इनका संपूर्ण शरीर दिव्य आभामय है. इनके दर्शन से भक्तों का हर तरह से कल्याण होता है. माता भक्तों को सभी तरह के पापों से मुक्त करती हैं. इनकी पूजा से बल और यश में बढ़ोत्तरी होती है. स्वर में दिव्य अलौकिक मधुरता आती है. देवी की घंटे-सी प्रचंड ध्वनि से भयानक राक्षसों आदि भय खाते हैं. इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने का विशेष विधान है. इससे हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है.
चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि 23 मार्च गुरुवार को शाम 06 बजकर 20 मिनट से शुरू हुई है और यह शुक्रवार यानी आज 24 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 21 मिनट से दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक रहेगा और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 से 12:52 तक रहेगा. रवि योग दोपहर 01 बजकर 22 मिनट से 25 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 20 मिनट तक है. इस दौरान आप मां चंद्रघंटा की पूजा कर सकते हैं.
नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें.फिर पूजा स्थान पर गंगाजल से छिड़काव करें और मां चंद्रघंटा का शांत और सच्चे मन से आवाहन करें और इसके बाद पूजा में सबसे पहले माता को दूध, दही, घी, इत्र, और शहद आदि से स्नान कराएं. फिर मां को फल, फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, चंदन, मिश्री, पान, सुपारी, लौंग, ईलायची इत्यादि अर्पित करें और पांच घी के दीपक जलाएं. मां चंद्रघंटा को भोग लगाने के बाद हाथ में एक सफेद फूल लेकर मां ब्रह्मचारिणी के लिए “ॐ ऐं नमः” मंत्र का जाप करें. इसके बाद आरती करें.
मां चंद्रघंटा का मंत्र
बीज मंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नमः
पूजा मंत्र: ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः
स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां चंद्रघंटा का भोग-
मां चंद्रघंटा को को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा पंचामृत, चीनी व मिश्री माता रानी को अर्पित की जाती है.
शास्त्रों के मुताबिक प्राचीन काल में जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध चल रहा था तब महिषासुर असुरों की तरफ से लड़ रहा था. वहीं, देवताओं की तरफ से भगवान इंद्र लड़ रहे थे. इस युद्ध में महिषासुर ने भगवान इंद्र को पराजित कर दिया था। महिषासुर का साम्राज्य देवलोक में हो गया और वह अत्याचार करने लगा. इस अत्याचार से परेशान होकर त्रिदेव-ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव भी क्रोधित हो गए. त्रिदेव और अन्य सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल किया तो मां भगवती का अवतरण हुआ. मां भगवती के अवतरण के बाद शिव जी ने अपना त्रिशूल मां भगवती को दे दिया. इसके अलावा भगवान विष्णु जी ने अपना चक्र मां भगवती को दिया. फिर सभी देवतागण ने भी अपने अस्त्र-शस्त्र मां भगवती को दे दिए. इंद्रदेव ने वज्र एवं ऐरावत हाथी दिया तो सूर्यदेव में उन्हें तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर भेंट किया. इसके बाद देवी चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया था.