भोपाल : गुना लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान उनकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो गई थी। इसके बाद उनकी बहू प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया और पोता महाआर्यमन सिंधिया चुनाव प्रचार छोड़कर दिल्ली रवाना हो गए थे। पांच मई को ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद भी दिल्ली चले गए थे।
खबर के अनुसार माधवी राजे सिंधिया ने दिल्ली एम्स में सुबह साढ़े नौ बजे अंतिम सांस ली है। क्षेत्र में निधन की खबर पहुंचने के बाद मातम की लहर है। ग्वालियर स्थित महल में भी सन्नाटा पसर गया है। अभी ग्वालियर राजघराने की तरफ से कुछ आधिकारिक रूप से जानकारी नहीं दी गई है। कोविड काल में कोरोना होने के बाद उन्हें लंग्स में इंफेक्शन की शिकायत हुई थी।
बता दें, माधवी राजे सिंधिया की तबीयत कुछ समय पहले से ज्यादा खराब थी। माधवी राजे सिंधिया के लंग्स में इंफेक्शन था। उनका इलाज एम्स दिल्ली में चल रहा था। गंभीर हालत होने पर उन्हें एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था और उन्हें वेंटिलेटर का सपोर्ट दिया गया था। कुछ दिन पहले ही उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की बात सामने आई थी और बताया गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनीराजे सिंधिया उनकी देखभाल के लिए दिल्ली में ही हैं।
माधवी राजे सिंधिया नेपाल राजघराने की बेटी थीं। ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया के साथ 8 मई 1966 को उनकी शादी हुई थी। माधव राव सिंधिया का निधन एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हो गई थी। माधवी राजे सिंधिया अधिकांश वक्त दिल्ली में ही रहती थीं। वह सार्वजनिक कार्यक्रमों और मीडिया से दूर ही रहती थीं। परिवार के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में कभी कभार जरूर देखी जाती थीं।
एक साल पहले वह अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जरूर मिलने गई थीं। इस मुलाकात के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया और महाआर्यमन सिंधिया भी मौजूद थे। उसके बाद वह ग्वालियर में भी एक दो कार्यक्रम में दिखीं। बीते कुछ महीनों से वह किसी सार्वजनिक जगह पर नहीं दिखी। लंग्स में कोविड के बाद से उनकी परेशानी बढ़ गई थी।
ग्वालियर आने पर राजमाता माधवी राजे सिंधिया जय विलास पैलेस में रहती थीं। उनका महल अरबों रुपए का है। देश के तमाम बड़े लोग जय विलास पैलेस के मेहमान बन चुके हैं। इसी महल में आज भी सिंधिया परिवार रहता है। वहीं, महल के एक हिस्से में म्यूजियम है, जिसे आमलोगों के लिए खोल दिया गया है।
बता दें कि माधवी सिंधिया भी एक शाही परिवार से आती हैं. उनके मायके का भी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. माधवी राजे सिंधिया के दादा जु्द्ध शमशेर जंग बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री रहे हैं. किसी वक्त में वो राणा डायनेस्टी के मुखिया भी रहे थे. माधवी राजे सिंधिया को प्रिंसेज किरण राज्य लक्ष्मी देवी के नाम से भी जाना जाता है. साल 1966 में ग्वालियर के महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया से नेपाल के शाही घराने की राजकुमारी माधवी का विवाह हुआ था. विदित हो कि 30 सितंबर 2001 को मैनपुरी (यूपी) के नजदीक तत्कालीन कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया की विमान हादसे में मृत्यु हो गई थी.
दिल्ली में निधन के बाद माधवी राजे के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर लाया जाएगा. माधवी राजे नेपाल के राजघराने से थीं. वह समाजसेवा के काम में काफी सक्रिय रहती थीं. माधवी राजे 24 धर्मार्थ ट्रस्टों की अध्यक्ष थीं, जो शिक्षा और मेडिकल जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. वह सिंधियास कन्या विद्यालय के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की अध्यक्ष भी थीं. उन्होंने अपने दिवंगत पति माधवराव सिंधिया की याद में महल संग्रहालय में गैलरी भी बनवाई है.