स्वच्छ, सुरक्षित जल उपलब्धता सुनिश्चित करने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य
भोपाल : पर्याप्त मात्रा के साथ स्वच्छ जल की उपलब्धता जल जीवन मिशन का प्रमुख घटक है। सुरक्षित और स्वच्छ जल की उपलब्धता के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा स्वच्छ जल से सुरक्षा (एसजेएसएस) अभियान चलाया गया। अभियान की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश को अग्रणी राज्य में शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर शुद्ध जल पहुँचाने के संकल्प में मध्यप्रदेश सरकार तेज़ी से कार्य कर रही है। स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान की उपलब्धि मध्यप्रदेश के विकास के जन-भागीदारी मॉडल का एक और सशक्त उदाहरण है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में सरकार एवं नागरिक कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव ने इस उपलब्धि पर विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, नागरिकों एवं टेस्टिंग प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी सशक्त भागीदारी सुनिश्चित करने वाली समस्त महिलाओं को बधाई दी है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा देशव्यापी अभियान में 2 अक्टूबर, 2022 से 31 मार्च, 2023 की अवधि में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पानी की गुणवत्ता की निगरानी और निरीक्षण की गतिविधियाँ का मूल्यांकन किया गया। अभियान में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का आंकलन कर रिपोर्ट जारी की गयी है।
अभियान का लक्ष्य जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए ग्राम, जिला एवं राज्य स्तर पर व्यापक जन-भागीदारी और पानी की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है। अभियान में रासायनिक मापदंडों और जीवाणुतत्व संबंधी मापदंडों (मानसून के बाद) का पता लगाने के लिए सभी गाँवों में पीडब्ल्यूएस स्रोतों का परीक्षण, गाँवों में घरेलू स्तर पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, स्कूलों एवं आँगनवाड़ी केंद्रों में पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, दूषित नमूनों के लिए किए गए उपचारात्मक कार्य, ग्रामीण स्तर पर एफटीके/एच2एस किट का उपयोग कर जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए महिलाओं का प्रशिक्षण आदि गतिविधियाँ शामिल हैं।
अभियान के दौरान मध्यप्रदेश में रासायनिक मापदंडों के लिए 51 हज़ार 129 (99.44 प्रतिशत) गाँवों में जीवाणु संबंधी मापदंडों (मानसून के बाद) के लिए 50 हज़ार 932 (99.06 प्रतिशत) गाँवों में जल गुणवत्ता परीक्षण किया गया। कुल 94 हज़ार 294 (95.2 प्रतिशत) स्कूलों और 58 हज़ार 464 (95.62 प्रतिशत) आँगनवाड़ी केंद्रों में पीने के पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया। फील्ड टेस्टिंग किट (एफटीके) का उपयोग करके जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए 42 हज़ार 595 गाँवों में महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। साथ ही रिपोर्ट किए गए 11 हज़ार 606 दूषित सेंपल में से 11 हज़ार 505 (99.13 प्रतिशत) के लिए उपचारात्मक कार्रवाई की गई है।