21वीं सदी में भारत : फिर जुटा महाकुम्भ
7वीं सदी के राजा हर्षवर्धन की तर्ज पर छह साल पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेला प्राधिकरण का गठन कर ऐतिहासिक कुंभ मेले को संस्थागत रूप दिया था। 2019 के कामयाब अर्धकुंभ ने प्रयागराज के आसपास की तमाम लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में डाल दी थीं। और इस कामयाबी का सेहरा योगी के सिर बंधा। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगम के सफाईकर्मियों के पांव पखार कर आशीर्वाद लेकर सबको चौंका दिया था। इस बार महाकुंभ है, करोड़ों श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए योगी की टीम तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महीने पहले ही तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। इस बार का मेला कई मायनों में अनूठा होगा। पढ़िए प्रयागराज से जाने-माने पत्रकार देवेन्द्र शुक्ल की यह रिपोर्ट।
इस अनूठे शहर प्रयागराज का कायाकल्प तो अर्धकुम्भ 2019 में ही हो गया था। इस बार महाकुम्भ में प्रयागराज पूरी तरह से बदल गया है। सात गंगा घाट पक्के किये जा चुके हैं। एक दर्जन से अधिक फ्लाईओवर बन गए हैं। कुम्भ में जो श्रद्धालु, स्नानार्थी या पर्यटक प्रयागराज पहले आ चुके हैं, वह भी अब इस शहर की चौड़ी-चौड़ी सड़कें और चौराहे देख अचंभित हो जाएंगे। एयरपोर्ट का तो विस्तारीकरण किया गया ही है, प्रयागराज सहित शहर के सभी रेलवे स्टेशन और बस अड्डे का रूप ही अलग दिखेगा। देशी-विदेशी सैलानियों के लिए भारतीय भाषाओं के अलावा फ्रेंच, जर्मन सहित कई विदेशी भाषाओं में सांकेतिक बोर्ड लगाए गए हैं। मेला क्षेत्र का दायरा बढ़ा दिया गया है। मेले में कई अखाड़ों ने प्रवेश भी कर लिया है। पहला स्नान पौष पूर्णिमा 13 जनवरी से शुरू होगा लेकिन मेले का औपचारिक उद्घाटन पांच जनवरी को ही हो जाएगा। उत्साह का आलम यह है कि इस बार मेले से पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रयागराज की तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। वे शहर के बाहर्र ंरग रोड, बड़े हनुमान मंदिर, भारद्वाज मंदिर कॉरिडोर समेत महाकुम्भ की 6500 करोड़ की तमाम परियोजनाओं का लोकार्पण कर वापस लौटे हैं।
महाकुम्भ क्षेत्र में लगने वाले सरकारी शिविरों को मौसमी फूलों के पौधों से सजाया जा रहा है। उद्यान विभाग के उपनिदेशक रमेश चंद्र उत्तम ने बताया कि सजावटी फूल पौधों की प्रजातियां कोलकाता, पुणे और वाराणसी से मंगाई गई हैं। लगभग एक हजार पौधे फाइबर के गमले में और 25 हजार से अधिक पौधे मिट्टी के गमले में रोप भी दिए गए हैं। मेले को लेकर क्रेज इतना है कि पूछिए मत। बीते छह अक्तूबर को प्रयागराज आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ के वेबसाइट और ऐप को लांच किया। आलम यह है कि इस वेबसाइट पर अब तक लाखों हिट्स आ चुके हैं जिसमें विदेशियों के ज्यादा हैं। सबसे ज्यादा हिट्स ब्राजील, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और फ्रांस के हैं। कुम्भ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद का कहना है कि वेबसाइट पर अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
संतत्व पहाड़ों और कंद्राओं से उतर कर अब सोशल मीडिया और इंटरनेट पर छा गया है। महाकुम्भ पर कथावाचक मोरारी बापू, बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री, शिवचर्चा विशेषज्ञ पं. प्रदीप शर्मा, कृष्ण कथावाचक आचार्य अनिरुद्धाचार्य के भी शिविर लगेंगे। इनके प्रमुख कार्यक्रम मुख्य स्नान से इतर तारीखों में होंगे जिससे श्रद्धालुओं को भीड़ का सामना न करना पड़े। भारी भीड़ उमड़ने की संभावनाओं को देखते हुए इस बार महाकुम्भ का दायरा बढ़ा दिया गया है। चार हजार हेक्टेयर में महाकुम्भ मेला क्षेत्र होगा। पिछले कुम्भ में 3200 और 2013 में 1900 हेक्टेयर में मेला बसाया गया था। इसके अलावा 1900 हेक्टेयर भूमि पार्किंग के लिए चिह्नित की गई है। कुम्भ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद बताते हैं कि महाकुम्भ क्षेत्र के लिए चार हजार हेक्टेयर का क्षेत्रफल घोषित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, साथ ही 1900 हेक्टेयर पार्किंग के लिए। मेला सेक्टर की संख्या भी 22 से 25 कर दी गई है। अनुमान है कि इस बार10 लाख कल्पवासी महाकुम्भ क्षेत्र में रहेंगे। 2025 के महाकुम्भ में अखाड़े नारी सशक्तीकरण का भी संदेश देने जा रहे हैं। अखाड़े इस बार आधी आबादी को मंच और शाही स्नान में तो शामिल करेंगे ही, उन्हें महंत, महामंडलेश्वर के पद से भी नवाज़ेंगे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व सचिव निरंजनी अखाड़ा महंत रवीन्द्र पुरी कहते हैं कि माताएं और बहनें हमारे लिए पूज्यनीय हैं। हर काम की तरह सनातन धर्म ध्वजा फहराने में भी यह योगदान देती हैं। इस महाकुम्भ में इन्हें भी पद देंगे और उनकी सवारी हमारी शाही स्नान में प्रमुखता र्से ंसहासन के साथ चलेगी।
आस्था, योग और रोमांच का होगा संगम
इस बार महाकुंभ पर अखाड़ा के नागा साधु संग और उनके महामंडलेश्वरों के प्रवचन के साथ श्रद्धालु वाटर स्पोट्र्स प्रवचन का भी आनंद लेंगे। संगम किनारे प्रतिदिन योग का भी प्रबंध किया जा रहा है। संस्कृति विभाग से बड़े-बड़े आयोजन तो होंगे ही वाटर स्पोट्र्स प्रवचन के लिए भी अलग-अलग कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं।
चलेंगी स्पेशल ट्रेनें
महाकुम्भ में अधिक से अधिक सुविधा देने के लिए रेलवे ने भी तैयारी कर ली है। अलग-अलग रूटों से प्रयागराज पहुंचने वाली ट्रेनों में 1012 ट्रेनें कानपुर के रास्ते से चलेंगी। रेलवे प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर 18004199139 जारी किया है जो एक मार्च तक प्रभावी रहेगा। इसी तरह 2025 के महाकुम्भ में रेलवे के हर जोन से ट्रेनें बढ़ाई गई हैं लेकिन यूपी के पूर्वोत्तर जिले से हर साल के माघ मेला में ही सर्वाधिक कल्पवासी या स्नानार्थी संगम पहुंचते हैं तो महाकुम्भ में भी इन जिलों से अधिक श्रद्धालु पहुंचेंगे। इसके मद्देनजर पूर्वोत्तर रेलवे महाकुम्भ में विभिन्न स्टेशनों से 108 ट्रेनें चलाएगा। इसमें सबसे अधिक 56 ट्रेनें मौनी अमावस्या पर चलाई जाएंगी।
सात घाटों का हो रहा कायाकल्प
महाकुम्भ के लिए जिले के सात घाटों बलुआ घाट, कालीघाट, रसूलाबाद घाट,छतनाग घाट झूंसी, नागेश्वर घाट झूंसी, मौज गिरि घाट और पुराना अरैल घाट का कायाकल्प हो रहा है।