रायपुर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राम माधव ने रविवार को कहा कि महात्मा गांधी का मानना था कि भारत 15 अगस्त, 1947 को ‘‘राजनीतिक रूप से स्वतंत्र” हो गया था और वह चाहते थे कि कांग्रेस राजनीतिक दल के रूप में काम करने के बजाय सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए काम करे।
राम माधव ने यहां आयोजित ‘साहित्य परब 2022′ में यह भी दावा किया कि चूंकि कांग्रेस नेताओं ने गांधीजी की बातों पर ध्यान देना बंद कर दिया था, इसलिए यह सुझाव उन्हें स्वीकार्य नहीं था। राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की कांग्रेस को भंग करने की इच्छा एक अन्य गांधी द्वारा पूरी होती दिख रही है।
माधव ने कहा, ‘‘15 अगस्त 1947 को जब भारत को स्वतंत्रता मिली तो सभी ने इसे ‘आजादी’ और ‘स्वतंत्रता’ कहा। लेकिन महात्मा गांधी ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने ऐसा कहने से इनकार किया और कहा कि भारत राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो गया है।” उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी की मृत्यु से तीन दिन पहले उन्होंने एक प्रस्ताव तैयार करवाया और वह चाहते थे कि इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अगले सम्मेलन में पारित किया जाये। हालांकि, वह सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया था, क्योंकि गांधीजी की हत्या कर दी गई थी।” महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को हत्या कर दी गई थी।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘उस प्रस्ताव में गांधीजी ने लिखा था कि भारत ने केवल राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त की है, लेकिन भारतीय समाज में सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता अभी हासिल नहीं हुई है।” माधव ने कहा कि गांधीजी ने एक और आंदोलन (सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए) शुरू करने और इसे राजनीति के दायरे से बाहर रखने का सुझाव दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस नेताओं ने गांधी जी की बातों पर ध्यान देना बंद कर दिया था और इसलिए उनके इस सुझाव को स्वीकार नहीं किया गया था। (महात्मा) गांधीजी की कांग्रेस को भंग करने की इच्छा एक अन्य गांधी द्वारा पूरी होती दिख रही है।” माधव ने छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी ‘राम वन गमन पथ’ परियोजना की सराहना की। माधव ने कहा कि उन्होंने रायपुर में ‘राम वन गमन पथ’ के जीर्णोद्धार कार्य के बड़े-बड़े होर्डिंग देखे हैं, जो अच्छा है क्योंकि देश की विरासत को संरक्षित और पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।
किसी का नाम लिए बिना माधव ने कहा कि भगवान राम का वनवास राजनीतिक बलिदान का उदाहरण है, लेकिन छत्तीसगढ़ में ‘‘वह पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं।” माधव जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके कैबिनेट सहयोगी टी. एस. सिंह देव के बीच मुख्यमंत्री पद साझा करने के लिए एक कथित समझौते को लेकर सत्ता संघर्ष का जिक्र कर रहे थे।