स्वस्थ्य प्रजातंत्र की मुख्यधारा
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री : जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक बदलाव दिखाई देने लगा है। अलगाववाद का दशकों पुराना अध्याय धूमिल हो रहा है। उसकी जगह मुख्यधारा का प्रभाव है। पंचायत चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी इसका प्रमाण है। केंद्र की कल्याणकारी योजनाएं इस प्रदेश को भी लाभान्वित करने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आयुष्मान योजना का शुभारंभ किया। यह चिकित्सा सुविधा मात्र नहीं है। बल्कि आयुष की सर्वे सन्तु निरामयः की कामना भी है।
इस प्रदेश के लोगों ने अलगाववादी अनुच्छेद 370 की समाप्ति को अपना पूरा समर्थन दिया है। इस मसले पर चर्चा के दौरान देश को दिलचस्प पहलू की जानकारी हुई। बताया गया कि यह अनुच्छेद केवल दो तीन राजनीतिक कुनबों को ही भरपूर लाभ पहुंचा रहा था। आमजन को तो इससे नुकसान ही हो रहा था। यह सच्चाई अब खुलकर सामने आ रही है। उन्हीं दो-तीन कुनबों के नुमाइंदे स्वयं को बेनकाब कर रहे हैं। ये लोग चीन और पाकिस्तान के सामने फरियाद कर रहे हैं। लेकिन दुश्मन मुल्क भी घिसे-पिटे मोहरों पर दांव नहीं लगाते। लेकिन इस हरकत से इनकी हकीकत सामने आ गई। ये लोग अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए क्यों इतने बेकरार है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत पीएम जय सेहत योजना का शुभारंभ किया। यह जन आरोग्य योजना सरकार की ओर से पूरी तरह से वित्त पोषित दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है। इसमें देशभर के सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती होने वाले हर परिवार को सालाना पांच लाख रुपये का कवर मिलता है। इसका उपयोग परिवार के एक या सभी सदस्य कर सकते हैं। प्रशासन स्थानीय परिवारों के नाम भी अब अपने डेटाबेस में छूटे हुए नाम जोड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को देशभर के चौबीस हजार से अधिक अस्पतालों में पोर्टेबिलिटी के तहत बीमा की सुविधा मिलेगी।
इस अवसर पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इन चुनावों ने ये भी दिखाया कि हमारे देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है। पुडुचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत और म्यूनिसिपल इलेक्शन नहीं हो रहे। सुप्रीम कोर्ट ने दो वर्ष पहले आदेश दिया था। यही लोग केंद्र सरकार को प्रजातंत्र की नसीहत दे रहे है। केंद्र सरकार गांवों तक विकास पहुंचा रही है। योजना से लेकर अमल और देखरेख तक पंचायती राज से जुड़े संस्थानों को ज्यादा ताकत दी जा रही है। गरीब से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब पंचायतों का दायित्व महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर के गांव-गांव में बिजली पहुंची, यहां के गांव खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं।
कोरोना काल में भी जम्मू-कश्मीर में करीब अट्ठारह लाख सिलेंडर रिफिल कराए गए। स्वच्छ भारत अभियान के तहत जम्मू-कश्मीर में दस लाख से ज्यादा शौचालय बनाए गए। जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक सुधार के बाद पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव हुए। इसको लेकर आशंका व्यक्त की जा रही थी। अलगाववादी गुपकर ने पहले इसके बहिष्कार का आह्वान किया था। बाद में जनता का मिजाज देखकर चुनाव में उतरे। लेकिन इनके मंसूबे पूरे नहीं हुए। केसर की घाटी में कमल खिला है। भाजपा यहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जिला विकास परिषदों के चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर वासियों ने लोकतंत्र में अपना विश्वास जताया है। चुनावों में भाजपा के चौहत्तर, नेशनल कांफ्रेंस के सड़सठ, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के सत्ताईस और कांग्रेस के छब्बीस उम्मीदवार विजयी रहे। यह विरोधियों के लिए सबक है। लेकिन वह अब भी गलतफहमी में हैं। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रदेश के लोगों ने गुपकर घोषणा के पक्ष में मतदान किया है।
ससे साबित हो गया है कि गुपकार गठबंधन केवल कश्मीर पर आधारित राजनीतिक पार्टी नहीं है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लोगों ने अनुच्छेद-370 को हटाने के फैसले को नामंजूर कर दिया है।
श्रीनगर की खानमोह से भाजपा विजेता ऐजाज हुसैन की जीत उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि यह मोदी जी की नीतियों की जीत है। जनता ने दुष्प्रचार को नकार दिया है। लोग विकास की नीतियों पर आगे बढ़ना चाहते हैं।
यह जीत साबित करती है कि भाजपा आने वाले समय में विकास को आगे ले जाएगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जम्मू-कश्मीर में संपन्न हुए डीडीसी चुनाव आशा की जीत हैं। जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत नयी अँगड़ाई ले रहा है। पहले वहां हाथ में पत्थर देखे जाते थे लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के बाद वहां बैलेट दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि गुपकार गठबंधन इसलिए बना था क्योंकि भाजपा से इस गठबंधन के दल अकेले नहीं लड़ सकते थे। इसके बावजूद भाजपा को इतने मत मिले जो एनसी, पीडीपी और कांग्रेस के संयुक्त मतों से ज्यादा है। दो वर्ष पहले हुए पंचायत चुनावों के बाद पहली बार केन्द्र से पंचायतों के पास पैसा पहुंचने लगा था। इससे विकास के काम हुए जिसे जनता ने महसूस किया। जनता ने राज करने वालों और काज करने वालों के बीच अंतर को समझा है। लोगों ने सालों बाद केन्द्र का पैसा गांवों तक पहुंचते देखा है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)