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चीन के कर्ज जाल में डूबा मालदीव्स, राष्ट्रपति मुइज्जू ने विदेशी मदद के लिए फैलाए हाथ

नई दिल्ली: श्रीलंका की तरह चीन के ऋणजाल में फंस चुके मालदीव में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, जिससे देश की राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक संतुलन पर खतरा मंडरा रहा है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के कार्यकाल में देश का कर्ज लगातार बढ़ रहा है, विदेशी मुद्रा भंडार घट रहे हैं, और विदेशी सहायता पर निर्भरता बढ़ती जा रही है, खासकर चीन से।मार्च 2024 तक, मालदीव का कुल कर्ज 8.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो देश की जीडीपी का 110% है।

इसमें से 3.4 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज है, जो जीडीपी का 45% है। चीन का मालदीव पर 1.11 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज है, जो मालदीव की जीडीपी का 14.77% और बाहरी कर्ज का 32.8% है। इस स्थिति ने मालदीव की आर्थिक स्वतंत्रता और राजनीतिक संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस संकट से निपटने के लिए, राष्ट्रपति मुइज्जू की सरकार विभिन्न देशों से वित्तीय सहायता मांग रही है। उन्होंने चीन से 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान और 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सॉफ्ट लोन मांगा है। इसके अलावा, उन्होंने अबू धाबी, सऊदी अरब, यूएई, और अन्य देशों से भी आर्थिक मदद की अपील की है।

चीन ने 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त नकद अनुदान देने का वादा किया है, लेकिन ये प्रयास मालदीव की विशाल वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। मालदीव के घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ते कर्ज की अदायगी की चुनौतियां राष्ट्रपति मुज्जू के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। मालदीव की अर्थव्यवस्था एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है, और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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