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भारत से पंगा लेना पड़ा भरी, सियासी भूचाल में फंसे मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू

नई दिल्ली: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के खिलाफ no-confidence motion लाने की चर्चा चल रही है, जिससे भारत-मालदीव संबंधों में तनाव बढ़ गया है। यहां तक कि भारतीय पर्यटकों की बुकिंग में भी गिरावट दर्ज की गई है। मालदीव के संसदीय अल्पसंख्यक नेता अली अजीम ने राष्ट्रपति मुइज्जू को हटाने की मांग की है और उन्होंने आपसी समर्थन के लिए नेताओं से मदद करने का आग्रह किया है। अली अजीम ने बताया कि उनकी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP), विदेश नीति में स्थिरता बनाए रखने के लिए कमिटेड है और किसी भी पड़ोसी देश को विदेश नीति से अलग नहीं करने देंगे।

भारत से पंगा लेना मालदीव को इतना भारी पड़ सकता था शायद इसका अंदाजा उनको खुद भी नहीं था। इसके अलावा, भारतीय पर्यटकों की बुकिंग में गिरावट के बाद, मालदीव की टूरिज्म एसोसिएशन ने भी अपने मंत्रियों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री और लोगों के खिलाफ दिए गए बयान की आलोचना की है। टूरिज्म एसोसिएशन ने कहा कि भारत हमारा निकटतम पड़ोसी और सहयोगी है और उन्होंने भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की सराहना की है।

इतिहास में जब भी हमारे देश पर कोई भी संकट आया है तो सबसे पहले भारत की तरफ से ही मदद का हाथ आगे आया है। सरकार के साथ-साथ हम भारत के लोगों के भी आभारी हैं कि उन्होंने हमारे साथ इतने घनिष्ठ संबंध बनाए हैं। बात करें मालदीव के टूरिज्म क्षेत्र की तो इसमें भारत ने लगातार एक अहम भूमिका अदा की है। कोविड-19 के बाद हमारे टूरिज्म सेक्टर को उबरने में भी बड़ी मदद मिली है।मालदीव के लिए भारत एक अहम भूमिका रखता है।’

मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति अहमद अदीब ने भी बातचीत की मांग की है और भारत से माफी मांगने का सुझाव दीया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को इस राजनयिक संकट को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के पास जाना चाहिए और भारतीय नेताओं के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी को स्वीकार करना चाहिए। इस समय के तनावपूर्ण माहौल में, भारत और मालदीव के बीच संबंधों को सुलझाने की कोशिशें जारी हैं, ताकि दोनों देशों के बीच की दोस्ती और सहयोग की मूल बुनियाद बनी रहे।

No-Confidence motion एक संसदीय प्रक्रिया है जिसका उपयोग वर्तमान सरकार के समर्थन का परीक्षण करने के लिए किया जाता है।यह संसद सदस्यों को सरकार की प्रभावी ढंग से शासन करने की क्षमता में विश्वास की कमी को व्यक्त करने की अनुमति देता है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो इससे सरकार को बदला जा सकता है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सरकार को जवाबदेह बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

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