क्षेत्रीय दलों के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति ने दिए हुड्डा के लंच में सियासी खिचड़ी के संकेत
नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में गुरूवार का दिन काफी राजनीतिक अहमियत वाला रहा। राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने जहां राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष के प्रतिवाद और विशेष रूप से कांग्रेस को अपने निशाने पर लिया। वहीं, संसद परिसर से 150—200 कदम की दूरी पर स्थित कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा का सरकारी आवास नया सियासी संकेत देने का माध्यम बना। यहां पर दीपेंद्र हुड्डा और उनके पिता और हरियाणा के पूर्व भागीदार भूपेंद्र सिंहडा ने अपना वार्षिक अनुबंध किया था। जहां पर कई विपक्षी दलों के नेताओं ने शिरकत की। उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति ने कई राजनीतिक अनुपात की खिचड़ी का भी संकेत दिया।
इस अटकल में जी—20 के सदस्य रहे आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण भी शामिल हुए। वहीं, गांधी परिवार के करीबी जाने वाली अंबिका सोनी, रजनी पाटिल, इमरान प्रतापगढ़ी से लेकर राजीव शुक्ला भी शामिल हुए। अधिकृत रूप से हालांकि हुड्डा के पिता—पुत्र की मिलीभगत थी। लेकिन जिस तरह से विभिन्न दलों के नेताओं ने कांग्रेस के साथ फ्रैंक दिल की बात की। उससे यह संकेत मिल रहे थे कि परोक्ष रूप से यह कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच एक अधिकृत बातचीत शुरू करने का अवसर था। जो सबसे पहले यहां हुआ है। हुड्डा पिता—बेटे की जोड़ी ने यह साबित कर दिया कि वर्तमान राजनीति में उनके सभी पक्षों के बीच बयानता कांग्रेस के लिए अहम हो सकती है।
हुड्डा पिता—पुत्र की जोड़ी ने अपने इस करार में उन सभी दलों को शामिल करने में सफलता हासिल की। जो आगामी दिसंबर चुनाव से लामबंद होकर कांग्रेस के लिए अहम है। इसमें कांग्रेसी कांग्रेस से महुआ मोईत्रा शामिल थे. जबकि बिहार में प्रभाव रखने वाले राजद और जेडीयू के सांसद भी इस डील में शामिल हुए थे. इसी तरह से अगले आम चुनाव में फंसे से सबसे अहम उपर से सपा के धर्मेंद्र यादव और रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी भी लगभग अंत तक उपस्थित रहे। जिसका सियासी हिसाब निकाला जा रहा है।
इसी तरह से डेमके से कानीमोझी शामिल हुईं तो बीजेपी से यूनिक चतुर्वेदी भी यहां पर महाराष्ट्र की राजनीति का फलसफा शेयर करती हुई नजर आईं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, राज बब्बर, शक्ति सिंह गोहिल की उपस्थिति से यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस परिवार एकता से इस दायित्व के एक मंच पर आया है। हरियाणा की राजनीति के लिए भी यह एक बड़ा संदेश जा रहा है। दिल्ली से चलने वाले इस प्रदेश में अगले साल चुनाव होना है। यहां यह कहा जाता है कि अगर इस राज्य को कांग्रेस जीतना चाहती है तो उसे हुड्डा परिवार की साख को साथ रखना होगा। कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर राहुल-प्रियंका गांधी की टीम के सदस्यों की उपस्थिति ने बताया कि अपने तर्कों के बीच हुड्डा परिवार एक कदम आगे बढ़ा है।