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पंचायत चुनाव में हिंसा पर ममता बनर्जी बोलीं- पश्चिम बंगाल में राम, बाम और श्याम ने रची साजिश’

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं, जिसमें सत्ताधारी पार्टी टीएमसी ने शानदार जीत दर्ज की है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस जीत के बाद लोगों को धन्यवाद दिया और विपक्षी दलों को जमकर घेरा. इसके अलावा चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर भी ममता ने दुख जताया, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार ने पुलिस को खुली छूट दी है. ममता बनर्जी ने बीजेपी (BJP) के साथ-साथ वामदल और कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा।

सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, “मैं (पंचायत चुनाव के दौरान) हिंसा की छिटपुट घटनाओं में लोगों की मौत होने से मैं दुखी हूं…चुनाव 71,000 बूथ पर हुए, लेकिन हिंसा की घटनाएं 60 से कम बूथ पर हुईं.’’ मुख्यमंत्री ने दावा किया कि आठ जून को चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद से चुनाव संबंधी हिंसा में 19 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के थे. हालांकि, पुलिस सूत्रों ने मरने वालों की संख्या 37 बताई है।

ममता बनर्जी ने कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की भी आलोचना की और उन पर चुनावी हिंसा के लिए समान रूप से जिम्मेदार होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं नफरत और हिंसा की राजनीति नहीं करती. मुझे ये कहते हुए दुख हो रहा है कि राम (भाजपा), ‘बाम’ (वामपंथी दल) और ‘श्याम’ (कांग्रेस) ने साजिश रची और हिंसा का सहारा लिया. मैं बहुत कुछ नहीं कहना चाहती क्योंकि हमारा लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर (गैर-भाजपा दलों की) एकता का है।’’

ममता बनर्जी ने आगे कहा कि ‘‘आपको (विपक्ष को) मेरे प्रति इतनी नफरत क्यों है? क्या इसलिए क्योंकि मैं एक साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती हूं? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं एकता के लिए बोलती हूं?’’उन्होंने ग्रामीण चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की शानदार सफलता के लिए बंगाल के लोगों को धन्यवाद दिया और कहा कि वास्तव में पार्टी को उसके खिलाफ विपक्ष द्वारा ‘झूठ फैलाने’ से जीत हासिल करने में मदद मिली।

ममता ने हिंसा प्रभावित इलाकों में टीम भेजने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा. उन्होंने इसे ‘बीजेपी संरक्षण समिति’ और ‘उकसाने वाली समिति’ बताते हुए सवाल उठाया कि ऐसी टीम जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर या अगरतला में क्यों नहीं भेजी गईं, जहां इस साल की शुरुआत में विपक्षी कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर हमला किया गया था. बनर्जी ने कहा, ‘‘जब मणिपुर जल रहा था तब तथ्यान्वेषी टीम कहां थी? जब असम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर जल रहा था तब यह टीम कहां थी? दो साल के भीतर करीब 154 ऐसी टीम बंगाल भेजी गई हैं।’’

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