मंगलुरु: मंगलुरु शहर में 19 नवंबर को हुए विस्फोट में शामिल संदिग्ध आतंकवादी की पहचान सोमवार को मोहम्मद शारिक के रूप में हुई है। मोहम्मद शारिक की पहचान की पुष्टि उसके परिवार के सदस्यों ने की है। मोहम्मद शारिक की पहचान की पुष्टि के लिए पुलिस ने उसकी बहन और चाची को मंगलुरु बुलाया था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि परिजनों ने ही उसकी पहचान की है। मोहम्मद शारिक की उम्र 25 वर्ष है। शारिक का परिवार शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली में मूल रूप से रहता है। 19 नवंबर दिन शनिवार को जब एक ऑटो में कुकर बम फटा था तो उस समय शारिक के पास हिंदू नाम से जारी एक फर्जी आधार कार्ड था। सूत्रों ने बताया कि यह मामला अब जांच के लिए एनआईए को सौंपा जा सकता है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि शारिक और कोयंबटूर विस्फोट के आरोपी जमीशा मुबीन एक दूसरे को जानते थे। शारिक ने बेंगलुरू में मुबीन से मुलाकात की थी और दोनों ने ही विस्फोट करने का प्लान किया था। मोहम्मद शारिक ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील तटीय इलाके में विस्फोट करने की जिम्मेदारी ली तो वहीं मुबीन ने कोयम्बटूर में विस्फोट किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक पुलिस की टीमें मोहम्मद शारिक के मूल निवास तीर्थहल्ली के निकट सोप्पुगड्डे में उसके आवास पर छापेमारी कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, शारिक के रिश्तेदारों के आवासों पर भी पुलिस की छापेमारी जारी है। पुलिस को शक है कि आरोपी एक आत्मघाती हमलावर है। वह मैसूर से मंगलुरु तक बस के माध्यम से कुकर बम ले गया था। पुलिस ने एक अन्य संदिग्ध की भी तलाश शुरू कर दी है जो ऑटो में सवार होने के दौरान मोहम्मद शारिक के साथ था।
गौरतलब है कि मोहम्मद शारिक को मंगलुरु शहर में धमकी भरे भित्तिचित्र लिखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन बाद में उसको जमानत पर रिहा कर दिया गया था। इसके बाद शारिक आतंकवादी गतिविधियों में पूरी तरह से शामिल हो गया और बम भी बनाने लगा। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मोहम्मद शारिक आत्मघाती हमलावर भी बना है। वह न सिर्फ राज्य पुलिस को बल्कि केंद्रीय जांच अधिकारियों को भी चकमा देने में सफल रहा। पुलिस ने बताया है कि यह धमाका शहर में विध्वंसक गतिविधि पैदा करने के इरादे से किया गया है।