22 जुलाई से नहीं जारी किये जायेंगे मास्टर कार्ड, जानें वजह
नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर आर्थिक क्षेत्र में भारत का बोलबाला काफी तेजी से बढ़ रहा है। पेमेंट के मामले में भारत में जब से BHIM और UPI की सुविधाएं लॉन्च हुईं हैं, तब से अमेरिकी कार्ड मास्टर कार्ड और VISA के दिन बुरे शुरू हो गए हैं। Plastic Money के मामले में RuPay Card न केवल भारत में, बल्कि विश्व के 195 देशों में लगातार अपने यूजर्स की तादाद बढ़ा रहा है। ऐसे में अब Reserve Bank Of India ने 22 जुलाई से भारतीय ग्राहकों को मास्टर कार्ड जारी करने पर बैन लगा दिया है। इसका सीधा अर्थ है कि RuPay Card का इस्तेमाल बढ़ेगा, जो कि भारत के लिए सकारात्मक खबर है। केन्द्रीय बैंक ने बैन लगाने की वजह पेमेंट सिस्टम डाटा के स्थानीय स्टोरेज के नियमों का पालन न करना बताया है।
डेटा सिस्टम और सुरक्षा को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक लगातार कड़े कदम उठा रहा है, और अब इन्हीं कड़े कदमों से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड जारी करने को लेकर बैंकों को कुछ खास निर्देश दिए हैं। इसके तहत 22 जुलाई से बैंकों द्वारा घरेलू ग्राहकों को किसी भी तरह के मास्टर कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे। RBI के इस कदम को मास्टर कार्ड के खिलाफ एक सख्त कदम माना जा रहा है, क्योंकि अब भारतीय कार्ड नेटवर्क में कोई भी नया मास्टर कार्ड जारी नहीं होगा।
इस मामले में RBI ने कहा, “अत्यधिक समय और पर्याप्त अवसर देने के बावजूद मास्टरकार्ड ने पेमेंट सिस्टम डाटा के स्थानीय स्टोरेज को लेकर जारी गाइडलाइंस का पूरी तरह से पालन नहीं किया है।” RBI ने मास्टर कार्ड को आदेश दिया है कि वो इस संबंध में सभी बैंकों को जानकारी दे। गौरतलब है कि आरबीआई की कार्रवाई पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम एक्ट, 2007 की धारा 17 के तहत हुई है। राहत की बात ये है कि मौजूदा कार्ड धारकों के पेमेंट या किसी भी काम में RBI की ये कार्रवाई बाधा नहीं बनेगी।
दुनिया में प्लासटिक मनी यानी क्रेडिट, डेबिट और एटीएम कार्ड जारी करने वाली तीन कंपनियां हैं, जिनमें मास्टर कार्ड, वीजा और रुपे प्रमुख हैं। ऐसे में मास्टर कार्ड पर कार्रवाई होना कंपनी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। RBI के इस बैन का सबसे बड़ा फायदा भारतीय RuPay Card के हिस्से आएगा। 2011 में घरेलू ट्रांजेक्शन के उद्देश्य से शुरू किया गया ये कार्ड आज विश्व के 195 देशों में प्रयोग किया जा रहा है। वहीं अब मास्टर कार्ड बैन के कारण RuPay Card के कार्ड के इस्तेमाल में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
बैन होने के पहले भी RuPay कार्ड भारत में मास्टर कार्ड को कड़ी टक्कर दे रहा है। वित्त वर्ष 2016 में रूपे कार्ड से जहां सिर्फ 1127 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था, तो वहीं मध्य 2019 तक यह लेन-देन 104 गुना बढ़कर 1,17,400 करोड़ हो गया। ये RuPay Card के भारत में बढ़ते प्रभुत्व का सटीक उदाहरण हैं। वहीं, RuPay Card की तरह ही भारत में BHIM यूपीआई पेमेंट सुविधा ने भी तगड़ा विस्तार किया है। पुराने आंकड़ों की ही बात करें तो साल 2018 के दौरान ही BHIM और RuPay दोनों ने ही भारत का लगभग 60 प्रतिशत मार्केट शेयर हासिल कर लिया था।
भारतीय बैंक पेमेंट प्रोसेसिंग के लिए प्रतिवर्ष करीब 300 करोड़ खर्च करते हैं। ऐसे में RuPay Card का जितना अधिक प्रयोग होगा, बैंकों को अमेरिकी कंपनियों को पैसा देने का दबाव उतना ही कम होगा, और ये देश के लिए सकारात्मक पहलू है। भारत में बिजनेस के बावजूद भारतीय नियमों का पालन न करना अनेकों अमेरिकी कंपनियों की नीति है, लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया कंपनियों को मोदी सरकार द्वारा लताड़ लगाई गई है, कुछ वैसा ही झटका भारतीय रिजर्व बैंक ने भी मास्टर कार्ड को दिया है। अमेरिकी बिग टेक कंपनियों को भारत की तरफ से साफ संदेश है कि या तो वो भारतीय नियम मान लें, या बोरिया बिस्तर समेट लें।