विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संबंध पड़ोसी देश की ओर से सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखने को लेकर हुए करार को तोड़ने के चलते गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं और यह अब तक के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। गलवान घाटी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसने देश में एक भावना जागृत की है।
एक ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक लोवी इंस्टीट्यूट ऑनलाइन माध्यम से बातचीत करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-चीन के बीच विभिन्न स्तरों पर हुई बातचीत अब तक बेनतीजा रही है। इसका कारण समझौतों का पालन सुनिश्चित नहीं करा पाना है।
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उन्होंने कहा कि पिछले 30 सालों में भारत और चीन के संबंधों में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं जिसके तहत चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बना है। पर्यटन और आवाजाही भी बड़ी है। हालांकि यह सब केवल इस बात पर टिके हैं कि दोनों देश सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखें और सीमा मुद्दों पर आपसी बातचीत से हल तलाशते रहें।
उन्होंने कहा कि चीन ने हजारों को सैनिकों को सीमा पर तैनात किया है। जाहिर सी बात है कि इससे संबंध प्रभावित होंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच संवाद में कमी नहीं आई है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समझौतों का पालन होना चाहिए।
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