उत्तराखंड

उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के गठन के मायने

विवेक ओझा

उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के निर्माण का कार्य प्रगति पर : मुख्यमंत्री धामी

देहरादून: भारत का संविधान कहता है कि भारत में रूल ऑफ लॉ का शासन होगा और जब भारत जैसे देश में कानून का शासन स्थापित करना हो तो जाहिर सी बात है कि कानूनी संस्थाओं, संगठनों , एजेंसियों या यूं कहें कि लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों की जरूरत होती है । कानून है तो प्रक्रियाएं हैं और प्रक्रियाएं हैं तो जटिलताएं हैं। इसीलिए हमारे देश के सभी राज्यों को कानूनी साक्षरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है। इस बात की जानकारी होनी बहुत जरूरी है कि अलग-अलग क्षेत्रों के लिए संसद और राज्य विधान मंडलों द्वारा जो भी कानून बनाए जाते हैं वह कितने प्रासंगिक हैं , उनमें जन कल्याण के लिए कितने बेहतर प्रावधान किए गए हैं , समस्याओं के निराकरण के लिए कोई कानून कितना उन्मुख है और कानूनों को लागू करने वाली इकाइयां कितनी मुखर हैं। इस तरह विधिक ज्ञान का होना देश समाज की प्रगति के लिए जरूरी है ।

इन्हीं संदर्भों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री की अगुवाई में मुख्यमंत्रियों व मुख्य न्यायाधीशों की संयुक्त कांफ्रेंस में भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किये। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में शीघ्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संचालित होगा। इस दिशा में सरकार के स्तर पर तेजी से प्रयास चल रहे हैं। 

गौरतलब है कि देहरादून के रानीपोखरी में उत्तराखंड के राष्ट्रीय विधिक विश्वविद्यालय की स्थापना को राज्य किसरकार मंजूरी दे चुकी है। इसके प्रारंभिक निर्माण कार्यों के लिए 50 लाख रुपये की राशि भी सरकार जारी कर चुकी है। प्रदेश में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय को लेकर असमंजस अब दूर हो गया है। इस विश्वविद्यालय को पहले नैनीताल जिले में स्थापित करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन जमीन की उपलब्धता में दिक्कत खड़ी होने से इस पर अमल नहीं हो सका। बाद में सरकार ने इसके लिए देहरादून जिले के रानीपोखरी में भूमि की तलाश की और रानीपोखरी (लिस्ट्राबाद) में 10 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय के लिए चिह्नित की गई है।

भारत में 21 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हैं, जिनमें दाखिला कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के माध्यम से होता है।

उत्तराखंड में विधिक क्षेत्र में हाल में किए गए कार्य :

उत्तराखंड ने पिछले पांच वर्षों में विधिक अधिकारियों का कैडर रिव्यू किया है । स्वीकृत पदों की संख्या 230 से बढ़ाकर 299 की है और वर्तमान में राज्य में 271 न्यायाधीश कार्य कर रहे हैं।

इसी प्रकार उत्तराखंड ने पूर्व लंबित प्रकरण (3 साल की अवधि से ज्यादा) को निपटाते हुए पांच नई परियोजनाएं पूरी कीं। विगत वर्षों में जिला न्यायालयों के निर्माण इत्यादि में पूर्ण किए गए हैं

उत्तराखंड ने अपना पंचवर्षीय एवं वार्षिक अवस्थापना संबंधी आवश्यकताओं का प्रस्ताव उच्च न्यायालय के साथ मिलकर तैयार किया है। राज्य में दो वाणिज्यिक न्यायालय शुरू कर दिए गए हैं।

सभी को सुचारू रूप से नि:शुल्क न्यायिक सेवा प्राप्त हो, इस उद्देश्य से सभी 13 जिलों में 13 सदस्य सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में नियुक्त किए। साथ ही सभी 13 जिलों में विशेष किशोर पुलिस इकाई की स्थापना की है। सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को दिए जाने वाली सुविधा के संबंध में नियमावली दिसंबर 2021 में अधिसूचित कर दी गई। 

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