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ऑनलाइन जुआ, कैसीनो के जरिये राजस्व पाने की नीति बनाने के राह पर चला मेघालय

इस समय देश के हर राज्य अपनी अपनी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और राजस्व प्राप्त करने के नए-नए तरीके खोजने की दिशा में लगे हुए हैं। कई राज्य राजस्व प्राप्त करने के लिए ऐसे कदमों को भी उठाते हैं जिसकी कई स्तरों पर आलोचना भी होती है खासकर शराब से जुड़े उद्योग या तंबाकू उद्योग या अन्य ऐसे ही संबंधित उद्योग। लेकिन राज्य सरकारों को अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की हर राह जायज़ लगती है ।

पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में भी हाल के समय में यह प्रवृत्ति देखी गई है। मेघालय ने अपने यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कसीनो , ऑनलाइन जुआ और सामान्य जुआ खेलने के लिए बड़ी योजनाएं तैयार की हैं ताकि राज्य के लिए आवश्यक राजस्व अर्जित किया जा सके। इस दिशा में मेघालय राज्य सरकार की नीति को साफ करते हुए कर विभाग के मंत्री जेम्स पीके संगमा ने हाल ही में कहा है कि राज्य सरकार ‘गेमिंग अधिनियम’ लेकर आई है, जिसके बाद गेमिंग नियम 2021 संचालकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों संस्करणों में कौशल एवं मौके के खेल आयोजित करने के लिए लाइसेंस जारी करने की सुविधा प्रदान करेगा।

खासी हिल्स तीरंदाजी खेल संघ तीरंदाजी आधारित लॉटरी ”शिलांग तीर” का आयोजन करता है। शिलांग तीर’ के माध्यम से वैध सट्टेबाजी ने 2014-15 के दौरान 1.1 करोड़ रुपये और 2018-19 में लगभग दो करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था। इस बार राज्य सरकार की नीति यह है कि अन्य राज्यों या देशों से आए यात्रियों, पर्यटकों को उनके वैध प्रमाण पत्र जांचने के बाद इन गेमिंग और सट्टेबाजी काउंटर में भाग लेने की अनुमति देगा।

गौरतलब है कि ऐसा माना जाता है कि मेघालय भारत में गेमिंग के लिए सर्वाधिक अनुकूल राज्य है और लॉटरी, पोकर, रम्मी, कसीनो तथा फंतासी खेल यहां अच्छा राजस्व दे सकते हैं।

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