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मेघालय उच्च न्यायालय ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाया प्रतिबंध:

देहरादून ( विवेक ओझा) : पूर्वोत्तर भारत के राज्य पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों पर पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के उच्च न्यायालयों की निगाह बनी रहती है और समय समय पर बेहतर निर्णय लिए जाते हैं। इसी दिशा में मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस वैद्यनाथन की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि अगर कोई इसका इस्तेमाल करता है तो उसे भारी जुर्माने की समस्या का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही मेघालय हाई कोर्ट ने टेट्रा पैक कार्टन के इस्तेमाल का सुझाव दिया है। चूंकि ये मुख्यतः कागज से बने होते हैं इसलिए ये सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रभावी विकल्प बन सकते हैं। मेघालय उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय देते हुए सिंगापुर के कड़े कानूनों का भी हवाला दिया। सिंगापुर में निर्धारित कूड़ेदान में कूड़ा न फेकने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है।

मेघालय हाई कोर्ट ने मेघालय सरकार को सतर्क रहने का आदेश दिया है और कहा है कि प्लास्टिक की वस्तुओं को एंट्री लेवल पर ही रोक दिया जाय। हाई कोर्ट ने कहा है कि सभी दुकानों पर समय समय पर छापे मारकर इस बात की पड़ताल होनी चाहिए कि कहीं सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल तो नही हो रहा है। अगर किसी भी दुकान से प्लास्टिक की थैलियां मिलें तो भारी जुर्माना लगाया जाय और ऐसा लगातार जारी रहे तो दुकान को सील करने का भी कठोर कदम उठाया जाय। कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि कोई मंदिरों के अंदर प्लास्टिक लेकर न जाए। इसके लिए सभी मंदिरों में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने चाहिए। कोर्ट ने पूजा स्थलों और उसके आसपास प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग न होने का निर्देश दिया है। हर साल लाखों टन सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है, जिनमें से अधिकांश को रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है। इसमें प्लास्टिक बैग, पालिथीन, प्लास्टिक ग्लास, फूड पैकेजिंग आइटम, पानी की बोतलें आदि शामिल हैं। इन प्लास्टिक को केवल एक ही बार इस्तेमाल किया जाता है और फिर कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है। इससे वातावरण प्रदूषित होता है। यह जल प्रदूषण और पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। सिंगल यूज प्लास्टिक को जलाने से निकलने वाला धुआं हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है और सांस की समस्याओं को बढ़ाता है।

सिंगल यूज प्लास्टिक से बचने के लिए क्या करें : सबसे पहले सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचने के लिए इसके विकल्प पर हमें ध्यान देना होगा जैसे सब्जी खरीदने या दूध लेने जाते वक्त हमें एक जूट का झोला ले जाना चाहिए। इसके बाद भी अगर सामान नहीं आ पाए तो हमें एक दूसरे कैरी बैग को लेने पर विचार करना चाहिए ना कि प्लास्टिक बैग मांगना चाहिए। इससे हमारी आदतों में भी सुधार होगा और पर्यावरण को साफ और स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।केंद्र सरकार ने भी 2022 में 1 जुलाई से देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया । सरकार ने यह कदम प्रदूषण से निपटने के लिए उठाया है। भारत में प्लास्टिक ‘वेस्ट पॉल्यूशन’ का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। अनुमान के मुताबिक देश में हर साल करीब 14 मिलियन टन प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर कचरा फैल जाता है। प्लास्टिक लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक होती है। इससे लोग कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

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