‘मेले बाबू ने थाना थाया..’, इंदौर में खुला यूनिक नाम वाला रेस्टॉरेंट, लगी लोगों की भीड़
इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर अपने खानपान के लिए देश-दुनिया में मशहूर है। अक्सर लोग यहां के विशेष खानपान का लुत्फ़ उठाने के लिए इंदौर आते हैं। इसी क्रम में शहर में अलग-अलग नाम से रेस्टोरेंट और होटल भी चल रहे हैं। ऐसे में इंदौर में स्थित एक रेस्टोरेंट ‘मेले बाबू ने थाना थाया’ इन दिनों चर्चाओं में है। चर्चा इस रेस्टोरेंट के खाने की नहीं, बल्कि इसके नाम को लेकर चल रही है। इस रेस्टोरेंट के संचालक गौरव पटवा ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि ग्रेजुएशन के बाद MBA किया। इस दौरान अपने खुद का रेस्टोरेंट खोलने का विचार आया। लेकिन, उसके नाम को लेकर बहुत कन्फ्यूजन था। ऐसे में ‘मेले बाबू ने खाना थाया या नहीं?’ कानों में आवाज गूंजी और रेस्टोरेंट के नाम का आईडिया का गया।
रेस्टोरेंट संचालक का कहना है कि उनके रेस्टोरेंट के एक ओर जिला अदालत है, तो दूसरी तरफ बच्चों का हॉस्पिटल है। इस दौरान कई दफा यह सुनने में आता है कि ‘मेले बाबू ने थाना थाया’। इसी के कारण उन्होंने रेस्टोरेंट का नाम रख दिया। हटके नाम रखने की वजह से रेस्टोरेंट बहुत सुर्खियों में बना हुआ है, तो वहीं रेस्टोरेंट का बना खानपान भी बहुत स्वादिष्ट और रिलायबल दामों पर मिल रही है। वहीं, रेस्टोरेंट इंदौर के मध्य क्षेत्र में स्थित है, जिसके चलते वहां पर कई लोगों का आना जाना लगा रहता है।
गौरव पटवा कहते हैं कि रेस्टोरेंट का यूनिक नाम रखने के कारण लोग दूर-दूर से आते हैं। रेस्टोरेंट में आते ही उनकी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। जिससे उनके रिश्ते मधुर बने रहते हैं। कई दफा बिगड़े हुए रिश्ते वापस से बन जाते हैं। वहीं, रेस्टोरेंट्स के दूसरी तरफ बच्चों का हॉस्पिटल भी मौजूद है। हॉस्पिटल में भी बच्चों का आना-जाना लगा रहता है और इस दौरान उनके माता-पिता अपने छोटे बच्चों को यह कहते हुए रेस्टोरेंट में ले आते है कि ‘मेले बाबू ने थाना खाया कि नहीं।’