नई दिल्ली। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मधुमेह होने की संभावना ज्यादा होती है। इस बात का खुलासा देश की सबसे बड़ी डायग्नॉस्टिक चेन एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा किए गए एक रिसर्च में हुआ है। इस रिसर्च में पिछले साढ़े तीन सालों में (2014 से 2017 के मध्य तक) 63 लाख से अधिक नमूनों को जांचा परखा गया। इन नमूनों में 21 फीसदी पुरुषों और 17.3 फीसदी महिलाओं में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक पाया गया।
इस रिसर्च में देश के चारों जोन में 46-60 तथा 61-85 आयुवर्ग में मधुमेह के सबसे ज्यादा मामले (26.71 फीसदी और 27।01 फीसदी क्रमश:) पाए गए। अगर हम शेरोन की बता करें तो मुंबई और कोलकाता में मधुमेह के सबसे ज्यादा मामले पाए गए हैं। आर एंड डी एंड मॉलीक्यूलर पैथोलोजी के सलाहकार व संरक्षक डॉ बीआर दास ने कहा, “अगर मधुमेह इसी दर से बढ़ता रहा, तो आने वाले समय में भारत चीन को पछाड़कर मधुमेह की दृष्टि से दुनिया की राजधानी बन जाएगा। यह स्थिति बेहद खतरनाक होगी, क्योंकि मधुमेह से पीड़ित आबादी उत्पादक आयु वर्ग की होगी, जिसका सीधा असर उनके परिवारों पर पड़ेगा।”
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ तथा वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम द्वारा किए गए संयुक्त अध्ययनों के अनुसार, 2011 से 2030 के बीच मधुमेह के कारण दुनिया को सकल घरेलू उत्पाद में 1.7 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ेगा। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार भारत में 6.9 करोड़ से ज्यादा लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और हर साल इसके कारण तकरीबन 3.5 लाख मौतें होती हैं।”
डॉ। दास ने कहा, “जांच से लेकर उपचार तक, ज्यादातर लागत मरीज को खुद उठानी पड़ती है। स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत तथा मधुमेह से प्रभावित बढ़ती आबादी के चलते स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और रोग के कारण मृत्युदर तेजी से बढ़ रही है। रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है। रोग को नियंत्रित करने के लिए हमें उचित जीवनशैली एवं स्वास्थ्यप्रद आहार के सेवन की आदत डालनी होगी।”
चारों जोनों में किए गए विश्लेषण के अनुसार, भारत के पश्चिमी क्षेत्र में मधुमेह के मामले सबसे ज्यादा- 20.47 फीसदी है। देश भर में हमारी प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों में 19.22 फीसदी मामलों में मधुमेह पाया गया।