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यूरोप व अफ्रीका से तालछापर अभयारण्य पहुंच रहे प्रवासी पक्षी

अगले माह तक पहुंचेंगे 325 प्रजाति के पक्षी

जयपुर : राजस्थान के चूरू जिले में स्थित तालछापर कृष्णमृग अभयारण्य में हजारों मील का सफर कर अब मेहमान परिंदों का आगमन शुरू हो गया है। हजारों मील का सफर कर तालछापर पहुंचने वाले सभी प्रजाति के विदेशी परिंदे अगले साल मार्च के अंतिम सप्ताह तक अभयारण्य में मौजूद रहकर यहां आने वाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहेंगे। तालछापर के सहायक वन संरक्षक प्रदीप चौधरी ने बताया कि प्रतिवर्ष विदेशी पक्षी यहां आते हैं। इस बार सबसे पहले अफ्रीकी व मध्य यूरोप में पाए जाने वाले पक्षी ग्रेटर फ्लेमिंगो ने अभयारण्य में पड़ाव डाला है।

ग्रेटर फ्लेमिंगो खूबसूरती के कारण हंस प्रजाति के जीवों में राजहंस के नाम से भी जाना जाता है। बेहद सुंदर दिखने वाला यह पक्षी 3 से 4 घंटे तक एक टांग पर खड़ा रह सकता है। यहां तक की एक टांग पर इतने ही समय तक नींद भी ले सकता है। इसकी गर्दन लंबी, लाल चोंच वाले इस राजहंस की लंबाई 120 से 130 सेंमी.होती है। अफ्रीका मूल के ब्लू चीक्ड बी हीटर, पाइड कुकू, हिमालय क्षेत्र के यूरोपियन रोलर, कॉमन होक कुकू, ब्लैक हेडेड आइबिस व इंडियन कोर्सर सहित कई प्रजाति के पक्षी भी अभयारण्य में पहुंचे हैं। सितंबर तक प्रवासी पक्षियों की प्रजाति की संख्या 325 से अधिक पहुंच जाएगी, जिसके चलते तालछापर में काले हिरणों की कुलांचों से अधिक पक्षियों की चहचहाहट पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करेगी।

पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि तालछापर कृष्णमृग अभयारण्य का सपाट भूभाग मोथीया घास की प्रचुरता के लिए मशहूर है। यहां का हैबिटेट प्रवासी पक्षियों के अनुकूल होने व अभयारण्य का भौगोलिक परिवेश सुरक्षित होने के कारण प्रवासी पक्षियों की संख्या का ग्राफ प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। क्षेत्रीय वन अधिकारी उमेश बागोतिया ने बताया कि बारिश के मौसम में प्रतिवर्ष देशी व विदेशी पक्षियों का जमावड़ा अभयारण्य में लग जाता है।

इस बार बारिश में देरी हो जाने के कारण कुछ प्रजाति के पक्षी अभी तक तालछापर नही पहुंचे हैं। मौसम अनुकूल होते ही अभयारण्य के हैबिटेट में बढ़ोतरी होगी तदुपरांत 325 प्रजाति के परिंदे मार्च माह तक अभयारण्य में रहेंगे।

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