अन्तर्राष्ट्रीयशख्सियत

मिखाइल गोर्बाचेव :-गम दे गया मानवता के यार का जाना !!

जब मिखाइल गोर्बाचेव नवम्बर 1986 की अपनी भारत यात्रा पर आये थे- जो कि उनकी पहली एशियाई यात्रा थी।…उन्होंने राजीव गांधी के साथ नयी दिल्ली घोषणा पत्र रचा था। उसमें एक विशेष उल्लेख था: ‘सोवियत संघ और भारत का प्रयास है कि ऐसा विश्व बने जहां न हिंसा हो, न आणविक शस्त्र।‘‘ गोरबाचोव की जिंदगी का फलसफा यही था। शांति हो, मानव का विकास हो.

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