तेज गर्मी और पानी की कमी से दूध उत्पादन होगा प्रभावित, कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका
नई दिल्ली : आमतौर पर गर्मियों में दूध के उत्पादन में कमी दर्ज की जाती है, लेकिन इस बार इसके बुरी तरह प्रभावित होने की खबरें सामने आ रही हैं। मौसम विभाग ने इन गर्मियों में भयानक लू चलने की आशंका जताई है। जानकारों का कहना है कि लू चलने और जलाशयों के सूखने से डेयरी पशुओं के लिए चारे और पानी की किल्लत हो सकती है। इससे आने वाले दिनों में दूध का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ऐसा होने पर दूध की कीमत में भी बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है।
इसी महीने चार अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक देश के 150 बड़े जलाशयों में पानी का स्तर 35 फीसदी रह गया है जो एक साल पहले की तुलना में 17 फीसदी कम है और पिछले 10 साल के औसत से दो फीसदी कम है। इस वक्त ये यह आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। आगे गर्मियों के मौसम के चरम पर पहुंचने पर इस तस्वीर के और भयानक होने का अंदेशा लगाया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक स्पॉट ट्रेडर्स ने कहा कि 6.5% फैट वाले दूध की कीमत 47-48 रुपये प्रति लीटर है जो पिछले साल 57-58 रुपये थी। लेकिन उपभोक्ता मामलों के विभाग आंकड़ों के मुताबिक अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत 57.6 रुपये प्रति लीटर है जो एक साल पहले 56 रुपये थी।
अनुमान के मुताबिक 2023-24 में देश में दूध का उत्पादन 24 से 25 करोड़ टन रहा जो एक साल पहले के मुकाबले 4.5 फीसदी अधिक है। भारत दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है लेकिन प्रति व्यक्ति खपत के मामले में देश काफी पीछे है। देश में दूध की प्रति व्यक्ति सालाना खपत मात्र 84 किलो है जबकि फिनलैंड में यह 430 किलो है।
जानकारों का कहना है कि इन गर्मियों में तापमान के औसत से ज्यादा रहने का अनुमान है। खासकर महाराष्ट्र, ओडिशा और दक्षिण के राज्यों में ऐसा हो सकता है। जलाशयों में जल स्तर में कमी के चलते आने वाले दिनों में देश में पानी की कमी हो सकती है। इससे जानवरों को पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा और इससे खासकर पहली तिमाही में दूध का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, लेकिन मॉनसून के सामान्य रहने की स्थिति में इसकी भरपाई हो सकती है।
अधिकारियों का कहना है कि इस बार पूरे देश में तापमान के सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है लेकिन मध्य और पश्चिमी इलाकों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है। लेकिन मॉनसून के सामान्य रहने की उम्मीद है। इंडियन डेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष, आर.एस सोढ़ी इस बात से सहमत हैं कि इस साल संगठित क्षेत्र को गर्मियों के कारण कम मात्रा में दूध उपलब्ध होगा। पनीर, दही, छाछ और आइसक्रीम की मांग इस वर्ष पहले की मांग से ज्यादा रहेगी।
हालांकि उनका मानना है कि इससे इन उत्पादों के दामों में ज्यादा इजाफा नहीं होगा। बेशक कच्चे दूध के दाम बढ़ेंगे लेकिन उससे तैयार होने वाले उत्पादों के दाम पहले ही कच्चे दूध के मुकाबले काफी तेज हैं। फैट के दामों में तेजी की पूरी संभावना है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में फैट का भाव भारत के मुकाबले पहले ही 150 रुपये ज्यादा है।