वैज्ञानिक शोध और नवाचार से परंपरागत उत्पादों की कीमत को कम करने में करें सहयोग – मंत्री सखलेचा
भोपाल : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने वैज्ञानिकों का आहवान किया है कि वे अपने कौशल और क्षमताओं से परंपरागत कारीगरों के उत्पाद की लागत को कम करने में सहयोग करें और इन उत्पादों का राष्ट्रीय स्तर पर एक डाटाबेस तैयार करें, जिससे हमारी विरासत और समृद्ध हो। मंत्री सखलेचा रविवार को 8वें भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के दूसरे दिन मैनिट में आर्टिजन टेक्नालॉजी के लोकल फॉर वोकल कांफ्रेंस का उद्घाटन कर संबोधित कर रहे थे। सी.एस.आई.आई.आर. की महानिदेशक डॉ. श्रीमती एन. क्लाइसेल्वी सहित अनेक वैज्ञानिक और देशभर से अपने उत्पाद और नवाचार लेकर आए कलाकर शामिल थे।
मंत्री सखलेचा ने कहा कि आज देश आत्म-निर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बड़ा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन कारीगरों के सपोर्ट में खड़े है। उन्होंने कहा कि कोविड़ काल में और बाद में हमने और पूरी दुनिया ने भारत के वैज्ञानिकों की क्षमता देखी है। उन्होंने कहा कि देश को आत्म-निर्भर बनाने के लिए इन कारीगरों का उत्पादों के लिए तकनीक और प्रौद्योगिकी से सहयोग करना होगा। उन्होंने देश में अनेक उत्पादों जैसे खिलोनें आदि के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रयास को साझा किया।
मंत्री सखलेचा ने मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, क्लस्टर आधारित इकाइयों आदि पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकारी सपोर्ट के साथ वैज्ञानिकों का सहयोग आवश्यक है। मंत्री सखलेचा ने विभिन्न स्टाल का भ्रमण भी किया और उत्पादों तथा नवाचारों से अवगत हुए।
डॉ. श्रीमती एन. कलैसेल्वी ने कहा कि इस बार विज्ञान महोत्सव के शुभारंभ से ही मैं इसका हिस्सा हूँ। मध्यप्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ने कारीगरों से जुड़ी विभिन्न विधाओं में विज्ञान को जोड़ कर अपनी वैज्ञानिक रूचि का परिचय दिया है। सच पूछा जाये तो विज्ञान उत्सव कारीगरों और शिल्पियों के लिए एक प्रेरक आयोजन है। विज्ञान उत्सव में सीएसआईआर की साथ प्रयोगशालाओं के निदेशक भी आये हैं। विश्वविद्यालयों के शिक्षक भी आये हैं। हमारे बीच केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री आए हैं। इसे केन्द्र-राज्य सम्मेलन कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान उत्सव से विभिन्न विधाओं के कारीगरों और शिल्पियों की जरूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने का प्रयास किया जायेगा।
सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. कलैसेल्वी ने कहा कि कारीगरों को शुरूआत से लेकर अंत तक समस्याओं के समाधान में वैज्ञानिक जानकारियाँ और सहयोग उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि कारीगर बिरादरी प्राकृतिक रंगों और वेस्ट मटेरियल का उपयोग करें। इससे न केवल वेस्ट का सदुपयोग होगा बल्कि पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा। डॉ. कलैसेल्वी ने कहा कि उन्हें यहाँ प्रदर्शनी में लगाये गये स्टॉलों पर युवाओं को देख कर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि कारीगरों और शिल्पियों के कार्यों को समुचित महत्व देते हुए उसके वैज्ञानिक सत्यापन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। कांफ्रेंस को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।