मिशन 2024 : विपक्ष के एकजुट होने से भाजपा को हो सकता है खतरा!, जानिए पूरा गणित
नई दिल्ली (New Delhi)। देश में आम चुनाव 2024 में होना है और अभी समय भी है, किन्तु उससे पहले 2023 में कम से कम नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव (assembly elections) होंगे और यह लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए रास्ते बनाएंगे। यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियों ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) को देखते हुए विधानसभा चुनाव के लिए भी पूरी तरह से कमर कस ली है।
जानकारी के लिए बता दें कि आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारियों के घोड़े खोल दिए हैं। बीजेपी एक बार फिर से जहां पूर्ण बहुमत से वापसी के लिए रणनीति बनाने में जुटी है तो विपक्ष 2024 में बीजेपी को घेरने की योजना बना रहा है। इस बीच देश की जनता के मूड को जानने का दावा करने वाला एक सर्वे आया है। सर्वे में इस बात पर है कि अगर अभी लोकसभा चुनाव हों तो किसे बहुमत मिलेगा। सर्वे में लोकसभा चुनाव को लेकर बेहद दिलचस्प तस्वीर सामने आई है।
हाल ही में एक मीडिया सर्वे में लोगों से सवाल किया गया कि अगर आज देश में लोकसभा के चुनाव हों तो किसकी सरकार बनेगी। इस सवाल के जवाब में बहुमत एनडीए की सरकार के पक्ष में आया है। यानी अभी चुनाव हों तो एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनेगी, हालांकि कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ है लेकिन अभी भी यह इतना नहीं है कि मोदी सरकार को हटा सके।
यहां एक बात समझने की है कि भले ही सर्वे में एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है, लेकिन यह उसके लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि भले ही अभी एनडीए बहुमत में नजर आ रहा है लेकिन अगर विपक्ष एकजुट हो गया तो बनती हुई सरकार बीजेपी के हाथ से फिसल सकती है। जरा आंकड़ों से समझते हैं. सर्वे के मुताबिक लोकसभा की 543 सीटों में से 298 सीटें एनडीए गठबंधन को मिल रही हैं वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 153 सीटें मिल रही हैं अन्य के खाते में 92 सीटें जा रही हैं. प्रतिशत की बात करें तो एनडीए को 43 प्रतिशत, यूपीए को 30 प्रतिशत जबकि अन्य को 27 प्रतिशत वोट मिलता दिख रहा है।
अगर वर्ष 2019 के चुनाव की बात करें तो एनडीए गठबंधन को 353 सीटें मिली थीं इसमें बीजेपी को अकेले 303 सीट मिली थीं, जो इस सर्वे में घटकर 286 हो गई हैं। सर्वे में 2019 के मुकाबले एनडीए को 55 सीटों का जबकि बीजेपी को अकेले 17 सीटों का घाटा उठाना पड़ रहा है। सर्वे में ये हाल तब है जब विपक्ष एकजुट नहीं है केसीआर अलग राष्ट्रीय पार्टी लेकर केंद्र की तरफ देख रहे हैं. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जल्द ही पैन इंडिया पार्टी बनने का ख्वाब बनाए हुए हैं। ममता बनर्जी और नीतीश कुमार को लेकर भी चर्चा होती ही रहती है। ऐसे में अगर विपक्ष एकजुट होता है तो लोकसभा में बाजी पलट सकती है. विपक्ष के एकजुट होने से एक दूसरे के वोट ट्रांसफर भी होंगे. ऐसे में नए समीकरण बनेंगे जो सीटों की संख्या में भी बदलाव करेंगे. एनडीए गठबंधन के बहुमत से दूर होने के बाद नया समीकरण भी बन सकता है और फिर ऊंट किस करवट बैठे, कौन जानता है।
तृणमूल कांग्रेस की बात करें, तो ममता बनर्जी की पार्टी भी पश्चिम बंगाल के बाहर विस्तार करना चाहती है। इसी तरह, के चंद्रशेखर राव (K Chandrashekhar Rao) ने अपनी तेलंगाना रैथ्य समिति को भारत राष्ट्र समिति में बदल दिया है। क्षेत्रीय से राष्ट्रीय हो रही है उनकी पार्टी। इस बीच, असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से कई राज्यों में विपक्षी दलों को ख़तरा है। ओवैसी की पार्टी मुस्लिम वोट शेयर ले सकती है।