मिजोरम पुल हादसा : पश्चिम बंगाल के 23 मजदूरों के मरने की आशंका, अब तक 22 शव मिले
आइजोल/मालदाः मिजोरम के आइजोल जिले में एक निर्माणाधीन रेलवे पुल के ढहने की घटना में 23 श्रमिकों के मारे जाने की आशंका है। पुलिस ने अब तक मौके से 22 शव बरामद किए है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया एक अन्य व्यक्ति की तलाश जारी है जो अब भी लापता है। उन्होंने कहा कि उसके बचने की संभावना बेहद कम है।
अधिकारियों ने बताया कि हादसे में घायल तीन लोगों में से दो को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जबकि तीसरे व्यक्ति का उपचार आइजोल के सदर अस्पताल में हो रहा है, उसके दाहिने हाथ की हड्डी टूट गई है। पुल पर काम करने वाले सभी 26 श्रमिक पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रहने वाले थे। रेलवे ने कहा कि बुधवार को यह हादसा गैंट्री (भारी भरकम ढांचे को ढोने वाला क्रेननुमा ढांचा) ढहने के कारण हुआ जिसे कुरुंग नदी के ऊपर बन रहे पुल के निर्माण के लिए लगाया गया था। निर्माणाधीन पुल पर हुई घटना की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
यह पुल भैरवी-सैरांग नई रेलवे लाइन परियोजना के तहत बनने वाले 130 पुलों में से एक है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मिजोरम से शवों को पश्चिम बंगाल लाने की व्यवस्था की गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मालदा जिले में पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की और मदद का आश्वासन दिया। चौधरी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आप इस देश में कहीं भी जाएं, आपको बंगाल के सैकड़ों कामगार दिखेंगे और उनकी बड़ी संख्या, मुर्शिदाबाद तथा मालदा जिलों से है। महामारी के दौरान मैंने इसे अच्छी तरह से समझा, अरुणाचल से लेकर गुजरात तक, श्रमिकों ने घर लौटने के लिए संपर्क किया था।” मुर्शिदाबाद के बेहरामपुर से सांसद चौधरी ने दावा किया कि ये लोग कामकाज की तलाश के लिए राज्य से बाहर जाने को मजबूर हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल में रोजगार की सुविधा नहीं है।
प्रदेश की तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘प्रदेश की मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) क्यों नहीं कहती हैं कि वह इन लोगों को प्रशिक्षण देकर उनका कौशल बढाएंगी और उनके लिए रोजगार सृजित करेंगी। मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों की संख्या कितनी है, अगर इसकी जानकारी आपको नहीं है तो यह आपकी विफलता है।” उन्होंने दावा किया ‘‘मुख्यमंत्री को प्रवासी श्रमिकों की कोई परवाह नहीं है, यही कारण है कि हमारे पास उनका कोई आंकड़ा नहीं है। वे लोग बाहर में जो पैसा कमाते हैं उससे प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था चलती है, लेकिन राज्य कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है।”