अयोध्या से देश दुनिया को कई सन्देश दे गए मोदी
लखनऊ, 05 अगस्त, दस्तक टाइम्स : अयोध्या में भूमि पूजन के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां भाजपा के अपने प्रमुख एजेंडे को पूरा किया वहीं पूरे विश्व को यह सन्देश भी दिया कि आज भी भारत में धार्मिक आस्था राजनीतिक दलों पर हावी है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान राम की महिमा और उनके महत्व को जिस तरह अन्य देशों का उदाहरण देकर समझाया उससे यह स्पष्ट है कि वह देश की जनता को आज भी धार्मिक आस्था के आधार पर राजनीतिक दलों का चयन करने का इशारा कर रहे थे।
1990 में मंडल की राजनीति को चुनौती देने के लिए ही भाजपा ने कमंडल की राजनीति की शुरुआत की थी. उनकी इसी राजनीति का असर था कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के बाद धार्मिक आधार पर पूरे देश का बंटवारा हो गया। हालांकि धार्मिक आधार पर मतों के बंटवारे का असर 2014 में देखने को मिला जब भाजपा ने अकेले दम पर केन्द्र में सरकार बनाई। तब भाजपा को इस मज़बूत स्थिति में पहुंचाने का श्रेय वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, उमा भारती, अशोक सिंघल और साध्वी ऋतंभरा जैसे नेताओं को गया था।
भूमि पूजन में आडवाणी की अनुपस्थिति चौंकाने वाली थी
ज्ञात हो कि लाल कृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकालकर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया था। यह दीगर बात है कि बुधवार को भूमि पूजन के अवसर पर उनकी अनुपस्थिति चौंकाने वाली थी। 2014 के चुनाव परिणामों के बाद भाजपा को ऐसा लगा कि उन्हें सफलता की कुंजी मिल गई है,. जिसका उपयोग उन्होंने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में किया। प्रदेश में चुनाव जीतने के बाद एक कट्टर हिंदुत्व नेता योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की बागडोर सौंपकर भाजपा ने 2019 की चुनौती की रूप रेखा तैयार कर दी थी।
2017 चुनाव के बाद से ही देश में मोदी-योगी युग की शुरुआत हुई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से ही अपने हिंदुत्व के एजेंडे पर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने प्रदेश के सभी हिन्दू धार्मिक स्थलों को धार्मिक पर्यटन स्थल में बदलकर उसे हिन्दुओं की प्रतिष्ठा से जोड़ दिया। उन्होंने ऐसे सारे कार्य किये जो हिंदुत्व मतों में उनकी छवि को एक कट्टर हिन्दुत्व नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं। 2019 के चुनाव में इसका असर भी दिखाई दिया हालांकि पुलवामा की घटना को राष्ट्रवाद से जोड़कर भाजपा ने अपनी जीत का रास्ता आसन कर लिया था।
2017 के चुनाव के बाद से ही देश व प्रदेश में मोदी और योगी युग की शुरुआत हो गई थी, और आज बुद्धवार को राम जन्मभूमि पूजन के अवसर पर दिग्गज भाजपा नेताओं की अनुपस्थिति ने यह सुनिश्चित कर दिया कि आगे भी भाजपा में यही जोड़ी नज़र आने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के अगले ध्वजावाहक के रूप में भाजपा की स्थिति मज़बूत करेंगे।
आने वाले दिनों में जन्मभूमि को ही अपना चुनावी हथियार बनायेगी बीजेपी
भूमि पूजन को देश व विदेश में समाचार माध्यमों के माध्यम से प्रचारित व प्रसारित किया गया। उससे स्पष्ट है कि आगे आने वाले दिनों में भी भाजपा राम जन्मभूमि को ही अपना चुनावी हथियार बनायेगी। आशंका व्यक्त की जा रही थी कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राम जन्मभूमि विवाद का अंत हो जाएगा और कोई भी राजनीतिक दल इसे अपना चुनावी हथियार नहीं बना पायेगा, लेकिन बुद्धवार को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमि पूजन को जिस तरह से महिमा मंडित किया है उससे उन्होंने यह संकेत देने का प्रयास किया है कि राम मंदिर का निर्माण भाजपा के सौजन्य से ही हो रहा है।
अन्य दलों ने रणनीति को समझते हुए मंदिर निर्माण का स्वागत किया
हालांकि अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाजपा की इस रणनीति को समझते हुए राम मंदिर निर्माण का स्वागत किया है। विपक्षी दलों ने यह संकेत दिया है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं इसीलिये राम मंदिर निर्माण को किसी राजनीतिक दल के एजेंडे से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। राम मंदिर का निर्माण एक समयावधि में पूरा किया जाना भारतीय जनता पार्टी निश्चित रूप से आगामी चुनाव में इसका लाभ लेने का प्रयास करेगी। अब देखना यह होगा कि विपक्षी दल उन्हें किस प्रकार से इसका लाभ लेने से रोक सकेंगे और जनता के मुद्दों पर आगामी चुनाव लड़ेंगे।