अत्याधुनिक फाइटर जेट की विशाल कंपनी बनने का रास्ता साफ, मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला
नई दिल्ली : भारत अब अमेरिका, रूस और चीन वाले टॉप क्लब में शामिल होने जा रहा है। मोदी सरकार ने वायु सेना के लिए अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के विकास और प्रोटोटाइप प्रॉडक्शन को मंजूरी दे दी है। यह कदम घरेलू मॉन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के लिए एक बड़ा अवसर खोलेगा और सशस्त्र बलों को युद्ध में बढ़त देगा। सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने अनुमानित 15 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिससे परियोजना डेवलपमेंट स्टेज और प्रोटोटाइप प्रॉडक्शन से आगे बढ़ गई। भारत का 2028 तक एडवांस्ड मल्टिरोल फाइटर एयरक्राफ्ट यानी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट को उड़ाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है।
रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली एजेंसी एरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी (ADA) अडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) तैयार कर रही है। यह फाइटर जेट पांचवीं जनरेशन के और स्वदेशी होंगे। ये डबल इंजन के होंगे। इसका डिजाइन ऐसा होगा कि दुश्मन की रेडार इसे पकड़ नहीं पाएगी या फिर जब यह दुश्मन के एकदम करीब पहुंचेगा तब उसकी रेडार इसे पकड़ पाएगी। तब तक एयरक्राफ्ट के पास दुश्मन को निशाना बनाने के लिए काफी वक्त मिल जाएगा। इसका डिजाइन तैयार हो चुका है। प्रोजेक्ट के अप्रूवल का इंतजार था। अब जल्द ही इसके डिवेलपमेंट पर काम शुरू होने की उम्मीद की जा सकती है। दो साल के भीतर यह बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है और यह पहली उड़ान उसके एक साल बाद भर सकेगा।
कटिंग एज टेक्नॉलजी से लैस होंगे फाइटर जेट्स दरअसरल, नए जेट में नवीनतम मिलिट्री टेक्नॉलजी होंगी, जिनमें स्टील्थ फीचर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इंटेग्रेशन, लंबी दूरी के लक्ष्य भेदने की क्षमताएं और अनमैन्ड सिस्टम्स के साथ संयुक्त रूप से संचालित करने की क्षमता शामिल है। योजना के अनुसार, चार से पांच प्रोटोटाइप विमानों का उत्पादन किया जाएगा और फिर सीरियल प्रॉडक्शन से पहले उनका परीक्षण और सत्यापन किया जाएगा। जेट के लिए अंतिम ऑर्डर लाखों करोड़ रुपये की सीमा में होने की उम्मीद है।
भारत ने निजी क्षेत्र की काफी भागीदारी के साथ अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का उत्पादन करने का फैसला किया है। योजना के अनुसार, जेट का अंतिम उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), वैमानिकी विकास प्राधिकरण और एक निजी क्षेत्र की भागीदारी से मिलकर एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) द्वारा किया जाएगा। तकनीकी क्षमताओं पर गहराई से विचार करने वाली चयन प्रक्रिया के बाद चुनी गई प्राइवेट कंपनी के पास अत्याधुनिक एरोनॉटिकल सिस्टम्स बनाने में सक्षम एक चुनिंदा ग्लोबल लीग में शामिल होने का अवसर होगा।
पश्चिम के देशों में डिफेंस की सारी कंपनियां प्राइवेट सेक्टर की ही हैं। उन्हें जरूरत पड़ने पर सरकार की फंडिंग वाले लैब्स और इंस्टिट्यूशंस से मदद मिलती है। मेगा प्रॉजेक्ट्स के लिए जिस एसपीवी मॉडल की कल्पना की गई है, उससे एक विशालकाय भारतीय कंपनी खड़ा होने की उम्मीद है। हालांकि, इस पर बड़ी जिम्मेदारी होगी क्योंकि विमान तीन दशकों से अधिक समय तक सेवा में रहेगा। इसके लिए कंपनी को लाइफ सपोर्ट सिस्टम बनाने की जरूरत पड़ेगी। एचएएल की प्लानिंग है कि कोई प्राइवेट कंपनी भविष्य में AMCA का उत्पादन करना चाहेगी तो वह उसे नासिक में अपनी मौजूदा सुविधाएं ऑफर करेगा। वर्तमान में वायु सेना के चल रहे ऑर्डर के लिए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट Mk1A के निर्माण के लिए उसी सुविधा को उन्नत किया जा रहा है।
AMCA प्रॉजेक्ट भारत की स्वदेशी लड़ाकू जेट इंजन कार्यक्रम की महत्वाकांक्षाओं से भी जुड़ी है। 40 AMCA जेट के शुरुआती बैच के साथ-साथ प्रोटोटाइप को GE 414 इंजन द्वारा संचालित किया जाएगा, लेकिन वर्तमान में 110 kn थ्रस्ट देने में सक्षम अधिक शक्तिशाली इंजन को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए एक विदेशी भागीदार का चयन करने पर काम चल रहा है।
ध्यान रहे कि अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ने पांचवीं जनरेशन के एयरक्राफ्ट बनाए हैं। समय के हिसाब से तकनीक बदलती है और इस तरह अलग-अलग जनरेशन के एयरक्राफ्ट बनते हैं। 1970-80 के बाद जो फाइटर एयरक्राफ्ट बने उन्हें फोर्थ जनरेशन यानी चौथी पीढ़ी कहा गया। साल 2,000 के शुरू में जो एयरक्राफ्ट बने वह पांचवीं जनरेशन के एयरक्राफ्ट हैं। अगर चौथी पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में कुछ नई तकनीक डाल उसे मॉडिफाई कर सकते हैं तो यह 4.5 जनरेशन कहलाएगा। अभी वायुसेना के पास फोर्थ जनरेशन और 4.5 जनरेशन के एयरक्राफ्ट हैं।