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सिर्फ कारोबार नहीं रिश्‍तों में भी नई गर्माहट लाएगा मोदी का ये कुवैत दौरा

दस्‍तक डेस्‍क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के लिए मध्य पूर्व के तेल समृद्ध देश कुवैत के दौरे पर निकल गए हैं। मोद का दो दिन का कुवैत दौरा न केवल कारोबार नहीं बल्कि आपसी रिश्‍तों में भी नई गर्माहट लाएगा। कुवैत में क़रीब दस लाख भारतीय रहते हैं। मोदी उनसे मिलेंगे और उनकी समस्‍याएं सुनेंगे। खास बात यह है कि पीएम नरेन्‍द्र मोदी का यह पहला कुवैत दौरा है। इससे पहले1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कुवैत गई थीं। उसके का भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत नहीं गया। यानी 43 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा होगा। भले ही भारत और कुवैत के राष्ट्राध्यक्षों के दौरे सीमित रहे हैं लेकिन दोनों देशों के बीच मज़बूत कारोबारी और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। बताते चलें कुवैत एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है ‘पानी के करीब एक महल’। करीबन 30 लाख की जनसंख्या वाले इस संवैधानिक राजशाही वाले देश में संसदीय व्यवस्था वाली सरकार है। कुवैत नगर देश की आर्थिक और राजनीतिक राजधानी है। कुवैत में अनेक द्वीप भी शामिल हैं, जिसमें इराक की सीमा से लगा बुमियान सबसे बड़ा है।

दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध औपचारिक रूप से 1961 में स्थापित हुए थे। तब भारत का प्रतिनिधित्व एक व्यापार आयुक्त ने किया था। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त 2024 में कुवैत का दौरा किया जबकि कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या 3-4 दिसंबर को भारत आए। इस यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत आने का न्यौता दिया था। मोदी के इस दौरे से पहले साल 2009 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया था, जो किसी भारतीय राजनेता का इंदिरा गांधी के दौरे के बाद से सबसे अहम कुवैत दौरा था।

भारत के मध्य पूर्व के साथ रिश्ते मज़बूत करने के पीछे एक बड़ा कारण इस क्षेत्र के देशों में रह रही बड़ी भारतीय आबादी भी है। कुवैत में क़रीब दस लाख भारतीय रहते हैं, जबकि संयुक्त अरब अमीरात में क़रीब पैंतीस लाख और सऊदी अरब में क़रीब छब्बीस लाख भारतीय हैं। मध्य पूर्व में रहने वाले भारतीय बड़ी राशि भारत भेजते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आबादी को अपने साथ जोड़ने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। केवल कुवैत में रहने वाले भारतीय सालाना क़रीब 4.7 अरब डॉलर भारत भेजते हैं। विदेश में रहने वाले भारतीय जो पैसे भारत भेजते हैं, ये राशि उसका 6.7 फ़ीसदी है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी की कुवैत की दो दिवसीय यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय खोलने में मदद करेगी। मंत्रालय क प्रवक्‍ता ने कहा, “यात्रा के दौरान, पीएम मोदी एक श्रमिक शिविर का दौरा करेंगे जो भारतीय प्रवासी श्रमिकों की मेजबानी करता है।” मोदी कुवैत के क्राउन प्रिंस और अमीर के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि “हम रक्षा और व्यापार सहित कई क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं।” मोदी कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के निमंत्रण पर यह यात्रा कर रहे हैं।

भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। कुवैत भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है, वित्तीय वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 10.47 बिलियन डॉलर है। कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की ऊर्जा का 3 प्रतिशत पूरा करता है। कुवैत को भारतीय निर्यात पहली बार $2 बिलियन तक पहुँच गया, जबकि भारत में कुवैत निवेश प्राधिकरण का निवेश $10 बिलियन से अधिक हो गया। भारत और कुवैत के बीच पारंपरिक रूप से मित्रता रही है संबंध, तेल-पूर्व कुवैत से जुड़े हुए हैं, जब भारत के साथ समुद्री व्यापार इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ था।

कुवैत की अर्थव्यवस्था उसके बेहतरीन बंदरगाह और समुद्री गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें जहाज निर्माण, मछली पकड़ना और खजूर का निर्यात शामिल हैं। कारोबार के लिए समुन्‍द्र का इस्‍तेमाल अरबी घोड़ों और मोतियों का व्यापार, लकड़ी, अनाज, कपड़े और मसालों के लिए किया जाता था। भारतीय रुपया 1961 तक कुवैत में वैध मुद्रा बना रहा, जो स्थायी आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक था।

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